Sarkari Naukri: सरकारी विभागों में सस्पेंड व बर्खास्त होने की चर्चा आम रहती है लेकिन क्या आपको पता है कि सस्पेंड होने व बर्खास्त होने में क्या अंतर होता है। बहुत लोगों को नहीं पता होता कि किसी सरकार कर्मचारी के संस्पेंड होने व बर्खास्त होने का क्या मतलब होता है। असल में जब कोई सरकारी कर्मचारी के सस्पेंड होने व बर्खास्त होना का क्या मतलब होता है। वास्तव में जब कोई सरकारी कर्मचारी किसी तरह का गैर कानूनी कार्य या कर्मचारी नियमावली का उल्लंघन करता है। तो उस पर दो तरह की कार्यवाही की जाती है। पहली या तो उसे स्स्पेंड कर दिया जाता है या बर्खास्त कर दिया जाता है। आज हम आपको संस्पेंड व बर्खास्त में अंतर बताएंगे।

निलंबन या संस्पेंड में क्या अंतर है-

जब किसी भी सरकारी को उसके विभाग या किसी पदाधिकारी ओर से संस्पेंड किया जाता है तो इस दौरान उसे तत्काल प्रभाव से उसे संबंधित कार्य से मुक्त कर दिया जाता है। यानि कि उससे कुछ दिनों तक कोई कान नहीं लिया जाता है। जबकि अलग-अलग विभागों ने इसके लिए भी एक समयसीमा तय कर रखी है कि किसी भी कर्मचारी को अधिकतम कितने दिनों तक निलंबित या संस्पेड किया जा सकता है। किसी भी सरकारी कर्मचारी को लंबे समय तक सस्पेंड नहीं रखा जाता है। तय समय सीमा में उस पर लगे आरोपों की जांच कराई जाती है। बाद में उसे उसी नौकरी या पद पर वापस बहाल कर दिया जाता है। हालांकि सस्पेंड रहने की अवधि के दौरान उस सरकारी कर्मचारी को उसी सैलरी आधी ही मिलती है। बहाली के बाद उसकी सैलरी पूरी मिलने लगती है। ज्यादतर दंडात्मक कार्यवाही के रूप में अपने अधीनस्थ कर्मचारियों को सस्पेंड या निलंबित करते है।