Mahatma Gandhi : आपने अक्सर सुना होगा की गांधी जी भारत पाकिस्तान के बटवारे के पक्ष में नहीं थे। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के विचारों ने दुनिया भर के लोगों को न सिर्फ प्रेरित किया बल्कि करुणा, सहिष्णुता और शांति के दृष्टिकोण से भारत और दुनिया में बदलाव भी लाने की कोशिश की हैं और कही ना कही वो अपने इस कोशिश में कामयाब भी नजर आए। महात्मा गाँधी ने अपने पूरे जीवन में सिद्धांतों और प्रथाओं को विकसित करने पर ध्यान दिया। दुनियाभर में हाशिये के समूहों और उत्पीड़ित समुदायों की आवाज बनकर सामने आए।

महात्मा गाँधी का प्रभाव ना केवल भारत या एशिया में ही देखने को मिला इन्होने मिडिल ईस्ट, अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और यूरोप में सामाजिक और राजनीतिक आंदोलनों को प्रभावित किया था। मार्टिन लूथर किंग जूनियर, नेल्सन मंडेला और दलाई लामा जैसे बड़े नेता इनसे प्रभावित हुए थे। वो हमेशा से भारत के लोगो को जाति-धर्म से ऊपर मानते थे। यही वजह थी कि जब भारत-पाक का बटवारा हुआ तो गाँधी जी के बारे में कहा जाता हैं कि वो इस बटवारे के पक्ष में नहीं थे।

1946 में गाँधी द्वारा लिखा गया पत्र-

"मुझे विश्वास है कि मुस्लिम लीग ने पाकिस्तान की जो मांग उठाई है, वो पूरी तरह से गैर-इस्लामिक है और मुझे कोई संकोच नहीं है ये कहने में कि यह पापपूर्ण कृत्य है। जो तत्व भारत को एक-दूसरे के खून के प्यासे टुकड़ों में बांटना चाहते हैं, वे भारत और इस्लाम, दोनों के शत्रु हैं. भले ही वो मेरी देह के टुकड़े कर दें, किंतु मुझसे ऐसी बात नहीं मनवा सकते, जिसे मैं सही नहीं मानता हूं।"

इस पत्र की वजह से ही कहा जाता हैं कि गाँधी जी भारत-पाकिस्तान के बटवारे को पापपूर्ण कृत मानते थे। आपको बता दे कि गांधीजी को अहिंसा का जनक कहा जाता हैं। गाँधी जी ने अहिंसा को आगे जरूर बढ़ाया, लेकिन मूल रूप से अहिंसा सदियों से भारतीय धार्मिक परंपरा का हिस्सा रही हैं। गांधीजी तो गौतम बुद्ध से खासे प्रभावित थे व उनके बताए हुए रास्ते पर ही चलते थे। गाँधी जी ने अपने अहिंसा के हथियार को ही अंग्रेजो के खिलाफ प्रयोग किया।