DU Admission: दिल्ली हाईकोर्ट ने सेंट स्टीफंस कॉलेज में किन-किन लोगो का एडमिशन होगा इसको लेकर फैसला आ गया हैं। अदालत ने कहा हैं कि सेंट स्टीफंस कॉलेज गैर-अल्पसंख्यक समुदायों के स्टूडेंट्स को अंडरग्रेजुएट कोर्सेज में एडमिशन देने के लिए इंटरव्यू नहीं ले सकता। तथा कॉलेज को आदेश दिया कि वह दिल्ली यूनिवर्सिटी के निर्देशों के तहत एडमिशन प्रोसपेक्टस को वापस ले ले। कालेज को आदेश दिया गया हैं कि बदले गए एडमिशन प्रोसेस का ऐलान करते हुए एक सार्वजनिक नोटिस जारी करे। तो वहीं डीयू के बाकी के कॉलेजों में एडमिशन सीयूईटी स्कोर के आधार पर होगा। सेंट स्टीफंस और दिल्ली यूनिवर्सिटी के बीच लंबे समय से इंटरव्यू के तहत एडमिशन को लेकर टकराव होता रहा हैं।

क्या कहा अदालत ने-

"चीफ जस्टिस सतीश चंद्रा शर्मा और जस्टिस सुब्रमोणियम प्रसाद की डिवीजन बेंच ने कहा, 'याचिकाकर्ता कॉलेज इस निर्देश का पालन करेगा कि अंडरग्रेजुएट कोर्सेज के लिए अप्लाई करने वाले नॉन-क्रिश्चियन कैटेगरी से संबंधित स्टूडेंट्स के एडमिशन के लिए CUET-2022 स्कोर को 100 प्रतिशत वेटेज दिया जाना हैं। " सेंट स्टीफंस ने अपनी जनरल सीटों पर एडमिशन के लिए इंटरव्यू को खत्म नहीं करने की बात को कहा गया हैं। 9 मई को दिल्ली यूनिवर्सिटी द्वारा भेजे गए कम्युनिकेशन को अदालत ने रद्द कर दिया हैं। इसमें ईसाई समुदाय से संबंधित उम्मीदवारों को एडमिशन देने के लिए सिंगल मेरिट लिस्ट पर जोर दिया गया हैं।

हाईकोर्ट ने कहा, 'यूनिवर्सिटी से जुड़े हुए सहायता प्राप्त अल्पसंख्यक इंस्टीट्यूशन को अपने यूनिवर्सिटी के नियमों और प्रक्रियाओं का पालन करना चाहिए।'अनुच्छेद 30(1) के तहत इंस्टीट्यूशन को इतनी इजाजत है कि वह अल्पसंख्यक समुदाय को दिए गए आरक्षण को सब-क्लासिफाई कर सकता हैं।

सेंट स्टीफंस कॉलेज ने अप्रैल में ऐलान किया कि वह सीयूईटी स्कोर को 85 फीसदी का वेटेज देगा, जबकि 15 फीसदी का वेटेज इंटरव्यू लेगा। दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 30 (1) के तहत अल्पसंख्यक संस्थान को दिए गए मौलिक अधिकार गैर-अल्पसंख्यक सदस्यों पर लागू नहीं कर सकता हैं। संबंधित राज्य अल्पसंख्यक संस्थानों के प्रशासन के संबंध में उस सीमा तक रेगुलेशन बना सकता है, जो अल्पसंख्यक समुदाय के हितों पर आधारित हैं।