Green Crackers: दीवाली का त्यौहार आने वाला हैं,हर तरफ पटाखो की गूज सुनाई देगी। हर किसी को पता हैं, कि ये पटाखे जलाना सही नहीं होता हैं। लेकिन इसके बावजूद भी लोग पटाखे जलाना बंद नहीं करते हैं जबकि सुप्रीम कोर्ट द्वारा रोक भी लगाया गया हैं। और लोगो से ग्रीन व सेफ दीवाली मनाने का अनुरोधि किया जाता हैं। तथा इसके साथ ही लोगो से अनुरोध किया जाता हैं कि वो ग्रीन पटाखे जलाए। लेकिन क्या आपने कभी सोचा हैं कि ग्रीन पटाखे जलाने से क्या होता हैं क्या ये भी प्रकृतिक को नुकसान पहुँचाते हैं। ऐसा बिल्कुल भी नहीं हैं ग्रीन पटाखे सामान्य पटाखो की तुलना में 25-40 फीसदी कम प्रदूषण फैलाते हैं।

ग्रीन पटाखे समान्य पटाखो से कितने अलग-

कई जगह ऐसे हैं, जहाँ पर पटाखो पर बैन लगा दी गयी हैं और केवल ग्रीन पटाखो को जलाने के लिए कहा गया हैंं। आपको बता दे कि ग्रीन पटाखे भी सामान्य पटाखो की ही तरह होते हैं, इसमें भी धुआ निकलता हैं और पटाखो जैसी फिलिंग आती हैं। लेकिन इसमें धुआँ सामान्य की अपेक्षा 40 फीसदी कम होता हैं।

आवाज की बात करे तो ग्रीन पटाखे से भी आवाज आती हैं लेकिन इसकी आवाज सामान्य पटाखो की अपेक्षा काफी धीमी होती हैं। ग्रीन पटाखों से अधिकतम 110 से 125 डेसिबल तक का ही ध्वनि प्रदूषण होता है वहीं, नॉर्मल पटाखों से 160 डेसिबल तक ध्वनि प्रदूषण फैलाते हैं।

ग्रीन पटाखो की कीमत-

ग्रीन पटाखे सामान्य पटाखो की तुलना में थोड़े महंगे होते हैं। कही ना कही ये वजह भी हैं, लोग इसे खरीदने से कतराते हैं। जो पटाखे आपको 250 रुपये तक खर्च करने पड़ते हैं,वो ग्रीन पटाखों की कैटेगरी में 400 रुपये से ज्यादा खर्च करने पर मिलते हैं।

किस-किस तरह के ग्रीन पटाखे आते-

यदि हम ग्रीन पटाखो की वैराईती की बात करे तो ग्रीन पटाखो में रोशनी वाले पटाखे ज्यादा आते हैं. लेकिन, ग्रीन पटाखों में भी सामान्य पटाखों की तरह कई कैटेगरी होती है. इसमें फूलझड़ी, चकरी, रॉकेट, स्कॉईशॉट, आतिशबाजी वाले पटाखे, फव्वारा (अनार) आदि आते हैं।