अल्फ्रेड नोबेल को जानिए क्यो कहा जाता हैं मौत का सौदागर

Alfred Nobel (अल्फ्रेड नोबेल) का नाम हर कोई जानता होगा। नोबल प्राइज की शुरूआत भी उनके ही नाम पर की गयी हैं। जहाँ दुनिया भर में अल्फ्रेड नोबेल को उनके अविष्कारो की वजह से जाना जाता हैं। तो वहीं पर Alfred Nobel को मौत का सौदागर भी कहा जाता हैं। जानिए ऐसा क्यो कहा जाता हैं।
क्यो कहते अल्फ्रेड नोबेल को मौत का सौदागर-
25 नवंबर 1867 यानी इतिहास की वो तारीख जब दुनिया को पहली बार तबाही मचाने वाले डायनामाइट की खोज अल्फ्रेड नोबेल द्वारा की गई थी। अल्फ्रेड को अपनी इसी खोज के कारण नाम दिया गया था 'मौत का सौदागर', कहा जाने लगा। आपको बता दे कि डायनामाइट का इस्तेमाल सुरंग को तोड़ने, बिल्डिंग को ध्वस्त करने और पत्थर के टुकड़े करने में प्रयोग किया जाता था। जिसके बाद इसका प्रयोग गलत तरीके से किया जाने लगा जिसकी वजह से लोगो की जान जाने लगी। एक दिन एक अखबार ने अल्फ्रेड की आलोचना करते हुए उन्हें मौत का सौदागर तक कह दिया था। जिसके बाद उन्होने शांति की राह अपनायी।
कौन थे अल्फ्रेड नोबेल-
21 अक्टूबर 1833 को जन्मे सर अल्फ्रेड नोबेल कारोबारी घर में पैंदा हुए थे। कहा जाता हैं कि जब अल्फ्रेड नोबल 9 साल के थे तब उनके पिता इमानुएल नोबेल के दिवालिया होने के बाद वो मां आंद्रिएता एहल्सेल के साथ नाना के घर रहने के लिए सेंट पीटर्सबर्ग चले गए। जहाँ पर इन्होने रसायन विज्ञान की पढ़ाई के दौरान उन्होंने स्वीडिश, रूसी, अंग्रेजी, फ्रेंच और जर्मन भाषाएं सीखीं. यूं तो उद्योगपति और वैज्ञानिक अल्फ्रेड नोबेल के नाम 355 पेटेंट थे। लेकिन इसमें से सबसे ज्यादा मशहूर डायनामाइट की खोज थी।
10 दिसंबर 1896 को उनकी मौत हो गई उन्होने मौत से एक साल पहले अपने वसीयत में लिखा कि- उनकी सम्पत्ति का बड़ा हिस्सा ट्रस्ट को दिया जाए। उन्होंने अपनी वसीयत में सम्पत्ति में से पुरस्कार देने की भी इच्छा जताई थी। जिसकी वजह से उनकी मौत के बाद 901 नोबेल पुरस्कारों की शुरुआत हुई।
कैसे की अल्फ्रेड नोबेल ने डायनामाइट की खोज-
कहा जाता हैं कि 17 साल की उम्र में अल्फ्रेड नोबेल पेरिस पहुंचे. यहां उनकी दोस्ती आसकानिया सुबरेरो से मिले। सुबसेरो ने 1847 में नाइट्रोग्लिसरीन की खोज की थी। जो कि उस समय का एक खतरनाक विस्फोटक था। नाइट्रोग्लिसरीन को लेकर एक दिन अल्फ्रेड प्रयोग कर रहे थे। बताया जाता हैं कि प्रयोग के दौरान विस्फोट हुआ और उनकी भाई एमिल की मौत हो गई।
तब उन्होने सोचा अगर महीन रेत किएसेल्गुर्ह को नाइट्रोग्लिसरीन के साथ मिलाते हैं तो वो एक पेस्ट के रूप में बदल जाता हैं। इस प्रकार अल्फ्रेड नोबल ने डायनामाइट की खोज की थी।