National Mathematics Day 2022 श्रीनिवास के जन्मदिन के दिन नेशनल मैथमैटिक्स डे के रूप में मनाया जाता हैं। चलिए आज हम श्रीनिवास के बारे में बताते हैं। कैसे एक आम लड़का जो बन गया गणित का महारथी जानिए ,22 दिसंबर, 1887 को तमिलनाडु के ब्राह्मण परिवार में जन्मे श्रीनिवास ने तीन साल की उम्र तक कुछ बोल नहीं पाए माँ-बाप ने सोचा बेटे का भविष्य खतरे में हैं। उनको लगा रामानुजन जिंदगी भर गूंगे ही रहेंगे।

1889 में परिवार में चेचक फैला और सभी भाइयों-बहनों की मौत हो गई हैं। केवल रामानुजन ही जिंदा बच पाए थे। अब माता-पिता की सारी उम्मीदे रामानुजन से ही थी। और वो अपने माता-पिता की उम्मीदो पर खरे भी उतर पाए। बताया जाता हैं कि 12 साल की उम्र में उन्होंने एडवांस त्रिकोणमिति को याद करके पेरेंट्स और टीचर्स को चौंका दिया था।

12वीं दो बार फेल-

रामानुजन 12वीं कक्षा में दो बार फेल हुए इसके पीछे का मुख्य कारण था। गणित से उनका लगाव वो गणित में इतना ज्यादा फोकस करते थे। कि बाकि विषयों पर उनका ध्यान ही नहीं जाता था। सबसे महत्वपूर्ण बात तो ये हैं कि जिस स्कूल में वो फेल हो हुए आज उसका नाम रामानुजन के नाम पर ही है। गणित के प्रति लगाव देखते हुए उनके दोस्त ने उन्हें एक किताब तोहफे में दी. उस किताब का नाम था 'अ सिनोप्सिस ऑफ एलिमेंट्री रिजल्ट्स इन प्योर ऐंड अप्लाइड मैथमैटिक्स जिसमें बहुत-सी ऐसी थ्योरी थी। जो पूरी नहीं हुई थी। अधूरी थी रामानुजन ने इस किताब में अधूरी थ्योरी को पूरा करके सबको चौका दिया।

अंग्रेजी साथी ने समझा महत्व-

12वीं की परीक्षा देने के बाद रामानुजन ने मद्रास पोर्ट ट्रस्ट पर क्लर्क के तौर पर नौकरी कर रहे थे। तब वहाँ पर उनके साथ काम करने वाले एक ब्रिटिश साथी ने उनकी गणित के प्रति रूचि देखकर उन्हें ट्रिनिटी कॉलेज, कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जीएच हार्डी से मिलने को कहा था। बताया जाता हैं कि रामानुजन के लेटर से प्रभावित होकर उनको लंदन आने को कहा. इस तरह ट्रिनिटी कॉलेज से जुड़ने के बाद उन्होंने ने वहीं से 1916 में ग्रेजुएशन किया। गणित में रिसर्च के लिए उन्हें रॉयल सोसायटी में जगह मिली. 1918 में वो ट्रिनिटी कॉलेज से फेलोशिप पाने वाले पहले भारतीय थे। 32 साल की उम्र में उन्होंने करीब 4 हजार ऐसे थ्योरम पर रिसर्च की जिसे दुनियाभर के गणितज्ञों को समय लगा।

मृत्यु के बाद तिरस्कृत-

1919 में वो भारत लौटे, लेकिन टीबी के कारण 1920 में उनका निधन हो गया था। बता दे कि दुनियाभर में अपनी बुद्धिमत्ता के लिए प्रसिद्ध रामानुजन को तिरस्कृत किया गया। कहा जाता हैं कि पंडितों ने सिर्फ इसलिए मुखाग्नि देने से मना कर दिया क्योंकि समुद्र की यात्रा के बाद प्रायश्चित करने के लिए वो रामेश्वरम नहीं गए थे। आज उनके ही जन्मदिन के अवसर पर नेशनल मैथमैटिक्स डे मनाया जाता हैं।