Education News: जिन्ना जीते थे लग्जरी लाइफ, अंग्रेज थे उनके नौकर
Education News: जिन्ना (Muhammad Ali Jinnah) को लग्जरी लाइफ जीने का शौख था। उनकी लग्जरी जिंदगी के बारे में कई लोगों ने लिखा है। वो धन-दौलत और निवेश को लेकर बहुत सतर्क शख्स थे। पेशे से वो वकील थे। और उस समय वकील के रूप में उनकी फीस कई अंग्रेज बैरिस्टर्स से ज्यादा हुआ करती थी। आपको बता दे कि 07 अगस्त 1947 को जब जिन्ना ने हमेशा के लिए भारत छोडक़र कराची के लिए कूच कर दिया था। तब मालाबार हिल्स स्थित बंबई की प्रापर्टी इसलिए नहीं बेची थी। क्योकि उन्हें लग रहा था कि उनका मुंबई आना-जाना लगा रहेगा। तब वह मुंबई स्थित मकान का उपयोग कर सकते हैं। आप उनकी ये प्रॉपर्टी देखकर अंदाजा लगा सकते हैं। कि वो कितनी लग्जरी लाइफ जीते थे।
Muhammad Ali Jinnah Biography (मोहम्मद अली जिन्ना)-
"जिन्ना, के बारे में पाकिस्तान एंड इस्लामिक आइडेंटिटी" किताब के लेखक अकबर एस अहमद ने अपनी किताब में इनके बारे में लिखा हैं। जब जिन्ना ने राजनीति से किनारा करने का फैसला किया और भारत छोड़कर लंदन चले गए तो उनकी वहां की शानोशौकत देखने लायक थी। वो लंदन के हैंपस्टेड के लंबे चौड़े बंगले में रहते थे। जिसको उन्होंने खरीद लिया था। उन दिनों वो लंदन में वकालत करने लगे थे।
स्टेनले वाल्पर्ट ने "जिन्ना ऑफ पाकिस्तान" किताब में लिखा, 1930 में जिन्ना वकालत से कम से कम 40 हजार रुपया कमाते थे. वो उस जमाने भारत के सबसे महंगे वकीलों में से एक थे। अकबर की किताब में बताया गया कि जिन्ना ने महज 19 साल की उम्र में बार में खुद को बैरिस्टर के रूप में रजिस्टर कराया था। तब भी वो पूरे आत्मविश्वास के साथ अदालत में जिरह करते थे।
1903 के आसपास की बात है। जिन्ना बाम्बे हाईकोर्ट में किसी मुकदमे की पैरवी कर रहे थे। तो उनकी जिरह से बाम्बे प्रोविंशयल गर्वनमेंट के जूडिशियल मेंबर सर चार्ल्स ओलिवेंट इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने जिन्ना को डेढ हजार रुपए के वेतन पर स्थायी नौकरी तक करने का ऑफर प्रदान कर दिया था।
अपने पैंसो को भारत से हबीब बैंक में ट्रांसफर कर दिया-
आजादी से करीब डेढ़ महीना पहले जिन्ना भारत में अपनी संपत्तियों को लेकर काफी चिंतित थे। जिन्ना ने हबीब बैंक की दिल्ली शाखा और नेशनल बैंक आफ इंडिया की लाहौर और बंबई शाखाओं से पूछा कि उनके खाते में कितने रूपए हैं।
30 जून को इन दोनों बैंकों ने सूचित किया कि उनके खाते में कितने रूपए हैं। दोनों बैंकों में कुल मिलाकर सात लाख 97 हजार 107 रुपए थे। ये रकम उस जमाने के लिहाज से बहुत बड़ी रकम होती हैं। भारत के बैंकों में जिन्ना ने जो रुपए जमा किया था। उन्होने अपना पैसा पाकिस्तान के हबीब बैंक में ट्रांसफर कर दिया। तथा कुछ पैसा अपने पास रख लिया।
अंग्रेज थे उनके घर नौकर-
इस किताब के अनुसार उनके पास उन दिनों की सबसे महंगी बेंटले कारे हुआ करती थी। जिसका ड्राइवर एक अंग्रेज था। जब जिन्ना कार में बैठते या उतरते थे तो उनका ये शोफर कार का दरवाजा खोलता था। उनके बंगले में नौकरचाकरों का एक बड़ा स्टाफ था, जिसमें ज्यादातर अंग्रेज हुआ करते थे। जो उनकी और बेटी दीना की सेवा करने के लिए तत्पर रहते थे।.
जिन्ना की रसोई में भारतीय और यूरोपीय दोनों तरह के खाने बना करते थे। वैसे तो जिन्ना करी व चावल के शौकीन थे। उसके लिए उनके पास एक भारतीय और एक आयरिश रसोइया था। उनका रहन-सहन और वेशभूषा के आगे अंग्रेज भी फेल थे। किताब में बताया गया हैं कि उस जमाने में दो ही भारतीयों को वेल ड्रेस्ड माना जाता था। उसमें एक जिन्ना थे और दूसरे मोतीलाल नेहरू हुआ करते थे।
उनके बारे में ऐसा कहा जाता हैं, कि वो यदि सिल्क की एक टाई को पहनने के बाद वो दोबारा कभी उसको नहीं पहनते थे। ऐसा कहा जाता हैं, कि उनके वार्डरोब में 200 से ज्यादा सूट थे। जिन्हें मुंबई और लंदन के सबसे महंगे टेलर सिला करते थे।