Ram Setu Bridge:समुद्र पर बने रामसेतु को दुनियाभर में एडेम्स ब्रिज के नाम से जाना जाता है। हिंदु धार्मिक ग्रंथों के अनुसार यह एक ऐसा पुल है जिसे मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम ने वानर सेना संग लंका पहुंचने के लिए बनवाया था। सुप्रीम कोर्ट में राम सेतु को राष्ट्रीय स्मारक घोषित कर संरक्षण देने की मांग की गयी हैं।इस विषय में याचिकाकर्ता बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा- सरकार ने यह तय कर लिया है कि राम सेतु को नहीं तोड़ा जाएगा। फिर स्थायी संरक्षण देने में क्या दिक्कत है? कोर्ट ने मामले पर विस्तार से सुनवाई के आश्वासन दिया हैं। वहीं सुनवाई की तारीख तक तय नहीं की गयी हैं।

Mystery Of Ramsetu In Hindi-

रावण का वध करने के लिए जब भगवान श्री राम लंका पहुंचे तो उनके लिए सबसे बड़ी समस्या थी रावण के लंका तक पहुंचने के लिए श्रीराम ने वानर सेना के साथ पुल का निर्माण कराया था। जैसा कि रामायण में बताया गया हैं कि- रामसेतु के निर्माण हेतु जब भगवान श्री राम ने समुद्र देव से मदद मांगी तो समुद्र देव ने बताया कि आपकी सेना में नल और नील एसे ऐसे प्रांणी हैं, जिन्हें इस पुल के निर्माण की पूरा जानकारी है। समुद्र देव ने भगवान राम से कहा कि नल और नील आपकी आज्ञा से सेतु बनाने के कार्य में अवश्य सफल होंगे। रामायण काल में भगवान राम ने इसका नाम नील पुल रखा था।

रामसेतु के अलग-अलग नाम-

रामयण में इसे रामसेतु कहा गया हैं। तो वही श्रीलंक ने मुसमालो ने इसे आदम पुल तो वहीं ईसाइयो ने इसे एडम ब्रिज का नाम दिया। उनका मानना था कि आडम इस पुल से होकर गुजरे थे।

5-6 दिनों में बनकर तैयार हो गया था-

लंबाई लगभग 100 योजन है। एक योजन में लगभग 13 से 14 किलोमीटर होते हैं यानि रामसेतु की लंबाई करीब 1400 किलोमीटर है। इसके बावजूद भी रामसेतु 5-6 दिनो में बनकर तैयार हो गया था। इस बात को खुद अमेरिका के वैज्ञानिको ने स्वीकार किया हैं। सेतु के निर्माण में भगवान राम ने विजया एकादशी के दिन स्वयं बकदालभ्य ऋषि के कहने पर व्रत रखा था। जिसमें उनकी मद्द नल व नील ने की थी।

रावण का वध करने के बाद भगवान श्रीराम ने रामसेतु को समुद्र में डुबा दिया था। ताकि कोई भी इसका दुर्पयोग ना कर सके। यह घटना सतयुग यानि कई युगो पहले की बताई जाती है। लेकिन कालांतर में बताया जाता है कि समद्र का जल स्तर घटता गया और सेतु फिर से ऊपर आता गया। आपको बता दें 15वीं शताब्दी तक लोग रामसेतु से पैदल रामेश्वरम से मन्नार की दूरी तय करते थे।

एक रिसर्च में बताया गया कि रामसेतु मानो निर्मित हैं। भारत औऱ श्रीलंका के बीच 50 किलोमीटक लंबी रेखा चट्टानों से बनी है और ये चट्टान लगभग 7 हजार साल पुरानी है। तथा जिस बालू पर यह टिकी है वह 4 हजार साल पुरानी है।