Teachers Day 2022: 5 सितंबर को पूरा देश टीचर्स-डे के रूप में भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती मनाता हैं। साल 1994 में यूनेस्कों द्वारा शिक्षकों के सम्मान में 5 अक्टूबर को विश्वभर में शिक्षक दिवस मनाने की घोषणा की थी। भारत के पूर्व राष्ट्रपति, विद्वान, दार्शनिक और भारत रत्न से सम्मानित डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन (Dr Sarvepalli Radhakrishnan) का जन्म 5 सितंबर 1888 को तमिलनाडु के तिरुमला में हुआ था। उन्हीं की याद में इस तारीख को हम टीचर्स डे (Teachers Day) के रूप में सेलिब्रेट करते हैं। इतिहास से जुड़े वो गुरू जिन्होने भारत को एक से एक बहादुर व शिष्य दिए हैं। जिनके जिक्र के बिना इतिहास अधूरा हैं।

महर्षि वेद व्यास-

पुराणो की माने तो भगवान विष्णु के अवतार महर्षि वेद व्यास जी प्रथम गुरु माने गए हैं। इनका पूरा नाम महर्षि कृष्णद्वैपायन वेदव्यास था। इनको ही वेदों को विभाजित करने का श्रेय दिया जाता है। गुरु पूर्णिमा के दिन इनकी ही पूजा की जाती हैं। वेद व्यास जी ने ऋषि जैमिन, वैशम्पायन, मुनि सुमन्तु, रोमहर्षण को शिक्षा दी थी। इन्होने ही महाभारत जैसे महाकाव्य की रचना की थी। तथा ये महाभारत के एक पात्र भी हैं।

बृहस्पति देव-

जैसे मनुष्यो के गुरू होते हैं। वैसे ही देवताओं के गुरू बृहस्पति देव माने जाते हैं। स्कंदपुराण के अनुसार भगवान शिव ने बृहस्पति को देव गुरु की उपाधि प्रदान किया था। इन्होंने अपने ज्ञान के बलबूते देवताओं का मार्गदर्शन किया था। गुरू बृहस्पति महर्षि अंगिरा के सबसे ज्ञानी पुत्र माने जाते हैं। बृहस्पति देव किसी भी व्यक्ति को ज्ञान व सौभाग्य प्रदान करते हैं। जिनपर भी इनकी कृपा हो जाए उसके जीवन में किसी प्रकार की कमी नहीं रहती हैं।

गुरु द्रोणाचार्य-

महाभारत का जब भी जिक्र होता हैं। गुरु द्रोणाचार्य कौरवों और पांडवों के गुरू रहेगुरु द्रोण युद्ध से जुड़ी सभी तरह की शिक्षा देने में पारंगत थे। जिनमें से अर्जुन को सब जानते हैं जो संसार के श्रेष्ठ धनुर्धर थे। अर्जुन इनके प्रिय शिष्यों में से एक थे। तो वहीं एकलव्य जो श्रेष्ठ धनुर्धर में से एक था। वो भी उन्हें अपना गुरु मानता था। जब गुरू द्रोणाचार्य को पता चला कि एकलव्य उनको अपना गुरू मानते हैं। तो उन्होने गुरू दक्षिणा में उनसे उनका अँगूठा मांगा और उन्होने अपना अँगूठा काटकर गुरू द्रोणाचार्य को दे दिया।

विश्वामित्र-

रामायण का जिक्र गुरू वशिष्ठ के बिना अधूरा हैं। क्योकि गुरु विश्वामित्र भगवान राम और लक्ष्मण को कई अस्त्र-शस्त्रों की शिक्षा दी थी।ये भृगु ऋषि के वंशज थे। विश्वामित्र वैदिक काल के विख्यात ऋषि थे। ये बड़े प्रतापी व तेजस्वी महापुरूष थे। ऋषि धर्म ग्रहण करने के पूर्व वे बड़े पराक्रमी व प्रजावत्सल नरेश थे।

गुरु वशिष्ठ-

गुरु वशिष्ठ सप्तऋषि में से एक हैं। वशिष्ठ गुरु ने अयोध्या के कुलगुरू थे। इन्होंने यहां राजपुरोहित के पद पर कार्य किया था। गुरु वशिष्ठ के कहने पर ही राजा दशरथ ने पुत्रेष्टि यज्ञ किया था। जिसके बाद भगवान राम, लक्ष्मण, भरत और शुत्रुघ्न ने जन्म लिया। गुरू वशिष्ठ ने ही बचपन में भगवान राम को शिक्षा प्रदान किया किया था।