Education: जानिए किस दिन व कैसे हुई थी पिन कोड की शुरूआत
Education News: भारत में पहले पिन कोड नहीं थे। भारत में 1970 से पहले संचार का मुख्य साधन पत्र ही हुआ करते थे। लेकिन आज बिना पिन कोड के फिर से पोस्ट से कोई चीज भेजनी हो या ऑनलाइन कोई चीज आर्डर करना हो मुमकिन नहीं हैं। इसके लिए पिन कोड की आवश्यकता पड़ती हैं। 1970 से पहले डाक विभाग को अलग-अलग भाषाओं और एक ही नाम के कई स्थान होने की वजह से कई सारी समस्याओं का सामना करना पड़ता हैं। इसी समस्या से निपटने के लिए डाक विभाग में पिन कोड को अविष्कार किया गया। ताकि हर क्षेत्र की अपनी एक पहचान हो। ये हर एक एरिया का पहचान पत्र हैं। इसकी वजह से समान आसानी से डिलवर किया जा सकता हैं।
पिन कोड का जनक-
पिन कोड का जनक केंद्रीय संचार मंत्रालय के पूर्व अतिरिक्त सचिव श्री राम भीकाजी वेलंकर को कहा जाता हैं। भारत में पिनकोड की खोज इन्ही ने की थी।
पिन कोड की शुरूआत भारत में कब हुई-
भारत में 15 अगस्त 1972 को पिन कोड सिस्टम की शुरुआत हुई थी। उस समय देश को कुल 9 जोन में बांटा गया जिसमें 8 जोन देश को दिए गए जबकि 9 वां आर्मी पोस्टल जोन को अलग रखा गया था। देश में इस समय कुल 19101 पिन हैं जो 154725 को कवर करते हैं. इसमें आर्मी पोस्टल सर्विस को शामिल नहीं किया गया है।
पिन कोड को पहले 8 जिलो में बांटा गया-
15 अगस्त 1972 को जब पूरे देश में पिन कोड सिस्टम की शुरूआत हुई थी। उस समय भारत को 8 भौगोलिक क्षेत्र में बांटा गया था और नौवें जोन को आर्मी पोस्टल सर्विस के लिए रिजर्व रखा गया था।
- उत्तरी दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर
- पश्चिमी राजस्थान और गुजरात
- पूर्वी वेस्ट बंगाल, उड़ीसा एवं पूर्वोत्तर
- पश्चिमी छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश
- दक्षिणी आंध्र प्रदेश एवं कर्नाटक
- उत्तरी उत्तर प्रदेश और उत्तराखण्ड
- पूर्वी बिहार और झारखंंड
- दक्षिणी केरल एवं तमिलनाडु
पिन कोड का फूल फार्म-
पिन कोड का मतलब होता हैं, पोस्टल इंडेक्स नंबर, ये 1972 में श्रीराम भीकाजी वेलांकर द्वारा शुरू किया गया था। पिन कोड 6 नंबरों को मिलाकर बनाया गया. इस कोड का हर अंक खास नंबर होता हैं। जो आपके पूरे एरिया की जानकारी देता हैं।
पिन कोड में 6 अंको का मतलब-
पिन कोड में कुल 6 अंक होते हैे, जिनका मतलब हैं। पहला नंबर राज्य को इंगित करता है. दूसरे नंबर से सब रीजन की पहचान होती है. वहीं तीसरे नंबर से राज्य के जिले की पहचान होती है .जबकि पिन कोड के अंतिम 3 अंकों से पोस्ट ऑफिस की जानकारी मिलती हैं।