Har Ghar Tiranga Campaign: भारत इस साल आजादी के 75वें साल को आजादी का अमृत महोत्सव ( Azadi Ka Amrit Mahotsav) की तरह मना रहा हैं, इस महोत्सव की शुरूआत केन्द्र सरकार द्वारा किया गया हैं। जिसके चलते देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने हर घर तिरंगा अभियान (Har Ghar Tiranga' Campaign) की शुरूआत की हैं। इसके मद्देनजर सरकार ने देश की झंडा संहिता (National Flag Code) में बदलाव किया हैं।

सरकार ने क्या-क्या किया झंडा सहिंता में परिवर्तन-

हर घर तिंरगा अभियान के तहत केन्द्र सरकार ने नेशनल फ्लैग कोड के नियमों में परिवर्तन किया हैं।अब तिरंगा दिन और रात दोनों समय फहराए जाने की अनुमति रहेगी। इसके अलावा अब पॉलिएस्टर और मशीन से बने राष्ट्रीय ध्वज को भी फहराया जा सकता हैं।

झंडा फहराते समय आपको इन मुख्य बातों का ध्यान रखे-

  • किसी प्रकार का विज्ञापन/अधिसूचना/अभिलेख ध्वज पर नहीं लिखा जाए।
  • झंडे को वाहन, रेलगाड़ी, नाव, वायुयान की छत इत्यादि को ढंकने में इस्तेमाल नहीं किया जाए।
  • किसी दूसरे झंडे को भारतीय झंडे के बराबर ऊंचाई या उससे ऊपर नहीं फहराया जाए।
  • किसी व्यक्ति या वस्तु को सलामी देने के लिए झंडे को नहीं झुकाया जाए।
  • झंडे का प्रयोग किसी वर्दी या पोशाक के रूप में न हो, झंडे को रुमाल, तकियों या किसी अन्य ड्रेस पर नहीं छापा जाए।
  • झंडे का प्रयोग किसी भवन में पर्दा लगाने के लिए न किया जाए।
  • झंडे का प्रयोग व्यावसायिक उद्देश्य के लिए न किया जाए।

भारतीय झंडे का इतिहास (History Of Indian Flag)-

7 अगस्त 1906 को भारत का राष्ट्रीय झंडा कलकत्ता स्थित पारसी बागान ( जिसे अब 'ग्रीनपार्क' के नाम से जाना जाता है) में फहराया गया था। पहले इसमें तीन रंग की पट्टियां हरा, पीला और लाल थी। इसके अलावा भारत के पहले तिरंगे में हरी पट्टी पर आठ सफ़ेद रंग के अधखिले कमल के फूल अंकित थे। इसके साथ ही पीली पट्टी पर गहरे नीले रंग से 'वन्दे मातरम्' लिखा था। तथा लाल पट्टी पर बाईं ओर सूर्य और दाईं ओर अर्द्ध चंद्र सफेद रंग में बना हुआ था।

भारत का दूसरा झंडा-

भारत का दूसरा झंडा भारत की पुण्य धरती पर फहराया गया। तथा इसके अलावा जर्मनी के स्टूटगार्ट शहर में मैडम कामा द्वारा 22 अगस्त 1907 को फहराया गया। इसमें हरी पट्टी पर 8 खिले हुए कमल बने थे। मध्य में पट्टी का रंग पीला था तथा उस पर भी 'वन्देमातरम्' लिखा था। सबसे नीचे वाली पट्टी लाल रंग की थी जिस पर बाऐं ओर सूर्य तथा दाईं ओर चंद्रमा बना हुआ था।

भारत का तीसरा झंडा-

तीसरा झंडा 1917 में आया और इसे डॉ. एनीबेसेंट और लोकमान्‍य तिलक ने घरेलू शासन आंदोलन (Home Rule Movement) के दौरान फहराया था। भारत के तीसरे झंडे में 5 लाल और 4 हरी क्षैतिज पट्टियों के साथ एक और सप्‍तऋषि के सात तारे भी बने हुए थे। तथा इसकी बांई और ऊपरी किनारे पर (खंभे की ओर) यूनियन जैक था। साथ ही एक कोने में सफेद अर्धचंद्र व सितारा भी बना हुआ था।

भारत का चौथा झंडा-

1921 में भारतीय राष्‍ट्रीय कांग्रेस के सम्‍मेलन में पिंगाली वेंकैया ने राष्‍ट्रीय ध्‍वज के बारे में सबसे पहले अपनी संकल्‍पना को पेश किया था। इस ध्‍वज में लाल और हरा रंग था। जो हिंदू और मुस्लिम समुदायों का प्रतिनिधित्‍व करते थे। इसके अलावा महात्‍मा गांधी नेदूसरे धर्मों के लिए इसमें सफेद पट्टी को शामिल करने की बात कही। तथा साथ ही राष्‍ट्र की प्रगति के सूचक के रूप में चरखे को भी इसमें जगह मिलनी चाहिए।

भारत का पाँचवा झंडा-

भारत का चौथा झंडा 10 सालो तक रहा तथा 10 सालो बाद भारत के राष्ट्रीय ध्वज में चरखा को शामिल किया गया। चरखे के साथ ही केसरिया, सफ़ेद और हरे रंग का संगम किया गया। इंडियन नेशनल कांग्रेस (INC) ने औपचारिक रूप से इस ध्वज को अपना लिया था।

भारत का छठवां व वर्तमान झंडा-

22 जुलाई, 1947 को संविधान सभा ने राष्‍ट्रीय ध्‍वज के रूप में वर्तमान झंडे का अंगीकार किया। जिसमें तीन रंगो केसरिया, हरा व सफेद रंगो को शामिल किया गया। हिंदू धर्म में केसरिया रंग को साहस, त्याग, बलिदान और वैराग्य का प्रतीक माना जाता है। तथा चरखे की जगह केंद्र में सम्राट अशोक के धर्मचक्र को शामिल किया गया।