UPSC Recruitment 2023: संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) देश की एक ऐसी संस्था हैं। जिसका अपना सिस्टम अभी भी काम कर रहा हैं। यूपीएससी ने अपने नियम-कानून बनाए रखे हैं। यही वजह हैं कि आयोग अपने सलाना कैलेंडर पर कायम रहता हैं। यूपीएससी निर्धारित समय पर परीक्षा आयोजित करने व रिजल्ट जारी करने के लिए जाना जाता हैं। कैडर अलॉमेंट का प्रक्रिया वैकेंसी, नियम, मेरिट, चॉइस जैसी चीजे के तहत होता हैं।

यूपीएससी में कैसे मिलता हैं होम कैडर-

अगर किसी स्टेट से 20 युवा आईएएस बन गए व उस स्टेट में संयोगवश कोई वैकेंसी नहीं हैं, तो किसी को होम कैडर नहीं मिलेगा। उन्हें दूसरे उन राज्यों में भेजा जाएगा। जहाँ वैकेंसी हैं। आयोग ऐसा भी नहीं करता कि एक राज्य के सभी सफल अभ्यार्थियों को वैकेंसी होने पर उनका होम कैंडर अलॉट कर देता हैं।

यह सेवा आल इंडिया के लिए हैं। ऐसे में कोशिश होती हैं कि एक स्टेट में दूसरे स्टेट के अधिकारी जाएं। इस कैडर के लिए जरूरी हो जाता हैं कि वे देश को देखें, समझे, जानें क्योकि जब भारत सरकार में तैनाती होती हैं। तब वहीं अनुभव बहुत काम करता हैं। होम स्टेट में पढ़ाई, वहीं नौकरी तो देश के दूसरे हिस्से को समझने का मौका नहीं मिल सकेगा।

भारत सरकार के अनुसार आयोग होम स्टेट में दो: एक का अनुपात देखकर कैडर आवंटित करता हैं। मतलब सामान्य दशा में अगर किसी स्टेट में दो अफसर दूसरे स्टेट के तैनात किए गए हैं, तो एक उसी स्टेट का हो सकता हैं। आयोग अभ्यार्थी से उसकी चॉइस भी पूछता हैं। अगर रैंक अच्छी हैं, तो चॉइस के अनुसार होम कैडर मिल जाता हैं। लेकिन हर बार ऐसा हो, यह आवश्यक नहीं हैं। यह वैकेंसी पर तय होगा। मसलन टॉपर के राज्य में वैकेंसी न हो तो उसकी पोस्टिंग वहाँ चाहने के बावजूद नहीं हो सकती हैं।

कैडर में मेरिट का रोल-

होम कैडर का मामला उस राज्य की वैकेंसी व उम्मीदवारो को मिले अंकों यानि मेरिट के आधार पर मिलता हैं। इसमें किसी का कोई वश नहीं होता हैं। वैकेंसी की कवायद विपरीत दिशा से शुरू होती हैं। राज्य अपनी जरूरत भारत सरकार को और केंद्र उसी अनुरूप अफसरों की जरूरत संघ लोक सेवा आयोग को भेजता हैं।

तभी वैकेंसी निकलती हैं। ऐसे में होम कैडर आवंटन पर मोटे तौर पर किसी का वश नहीं हैं। यदि बाद में कोई युवा या युवती अपने ही कैडर में शादी करते हैं, तो उन्हें कैडर बदलने की सुविधा मिलती हैं। विशेष परिस्थिति में अधिकारी अपने होम स्टेट में प्रतिनियुक्ति पर जरूर तैनात किए जाते रहे हैं। उसमें दोनों स्टेट गवर्नमेंट की सहमति आवश्यक होती हैं।