Indian Navy (भारतीय नौसेना) को मिलने जा रहा हैं 35 एडवांस ब्रह्मोस मिसाइल, क्योकि रक्षा मंत्रालय ने भारतीय नौसेना के लिए दो स्टील्थ गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर पी-15 बी क्लास के लिए सतह से सतह पर मार करने वाली 35 लड़ाकू और तीन अभ्यास ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के लिए समौझाता किया हैं। नौसेना को मॉडर्न वारफेयर के लिए तैयार करने में जुटे मंत्रालय ने ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड के साथ 1700 करोड़ रुपये तक का अनुबंध साइन किया हैं।

जानिए क्या-क्या इस मिसाइल में खास-

ब्रह्मोस एक मध्यम दूरी की स्टील्थ रैमजेट सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है जिसे पनडुब्बी, जहाजों, विमान या जमीन से लॉन्च किया जा रहा हैं। ब्रह्मोस मिसाइलें ध्वनि की गति से लगभग तीन गुना अधिक गति के साथ अपने लक्ष्य भेद सकती हैं। ब्रह्मोस एयरोस्पेस के मुताबिक मिसाइल के 800 किलोमीटर रेंज संस्करण पर भी काम चल रहा है ब्रह्मोस को भारतीय रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) और रूस ने मिलकर ब्रह्मोस एयरोस्पेस के नाम से तैयार किया जा रहा हैं।

भारत ने सुखोई -30 लड़ाकू विमान से ब्रह्मोस मिसाइल के एक विस्तारित रेंज संस्करण को लॉन्च किया गया था। मिसाइल का एक हाइपरसोनिक संस्करण, ब्रह्मोस-द्वितीय नाम से मैक 7-8 की गति के साथ बनाया गया हैं। ब्रह्मोस-द्वितीय के 2024 तक परीक्षण के लिए तैयार किया जा रहा हैं। इस मिसाइल के जरिए भारत से अमेरिका चीन भी पीछे चल रहे हैं। 2016 में एमटीसीआर का सदस्य बनने के बाद भारत और रूस अब संयुक्त रूप से 1500 किमी से अधिक रेंज वाली ब्रह्मोस मिसाइलों की एक नई पीढ़ी का विकास किया जा रहा हैं।

भारत और रूस अगले दस वर्षों में ब्रह्मोस एयरोस्पेस के माध्यम से 2,000 ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल बनाए जाने की तैयारी में चल रहा हैं। लगभग 50% ब्रह्मोस मिसाइल मित्र देशों को निर्यात किया जा रहा हैं।फिलीपींस के साथ ब्रह्मोस बेचने को लेकर भारत ने 375 मिलियन डॉलर का सौदा किया हैं। इसके अलावा सऊदी अरब भी इस मिसाइल को खरीदने की इच्छा जाहिर की हैं। भारत पहले ही 24 नवंबर 2020 को उन्नत ब्रह्मोस संस्करण (800 किमी) का सफलतापूर्वक परीक्षण कर चुका हैं।