Chaudhary Charan Singh Birth Anniversary: आज किसान दिवस हैं क्योकि आज चौधरी चरण सिंह का जन्मदिन हैं। ये जीवन भर खेती-किसानी से जुड़े सवालों को लेकर मुखर रहे। आज उनकी जयंती है। 23 दिसम्बर 1902 को मेरठ के नूरपुर गांव में जन्मे चरण सिंह ने स्वतंत्रता की लड़ाई में हिस्सेदारी थी। 1929 में कांग्रेस में शामिल हुए थे। उनका घर मिट्टी व भूसे से बना हुआ था। भारत छोड़ो आंदोलन सहित हर संघर्ष में भाग लिया और कई जेल यात्राएं भी की थी।

1967 में पहली बार हासिल हुई मुख्यमंत्री की बने थे। और 1979 में प्रधानमंत्री पद का ताज. 1967 में दलबदल के जरिए उन्होंने उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की सरकार गिराई तो 1969 के मध्यावधि चुनाव बाद उसी कांग्रेस के गठबंधन में मुख्यमंत्री पद संभाला। लेकिन जनता पार्टी की सरकार में उन्हें इंदिरा गांधी को जेल में रखने की नाकामी को लेकर नाराजगी थी, तो दूसरी तरफ जल्दी ही वे इंदिरा गांधी की मदद से जनता पार्टी की टूट के कारण बने और फिर प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठने में सफल रहे थे। इन सब चीजो की वजह से इन्हें चेयर सिंह कहकर बुलाया जाने लगा।

कहा जाता हैं कि 28 जून 1978 को चौधरी साहब के एक बयान ने सरकार और पार्टी ने पूरी राजनीति में भूजाल ला दिया। उन्होने इस बयान में कहा-

"आपातकाल के कई पीड़ित मेरे पास आये और उन्होंने बार-बार प्रार्थना की कि न केवल श्रीमती गांधी को तुरंत गिरफ्तार किया जाए बल्कि चंडीगढ़ में उन्हीं हालात में रखा जाए, जिनमें लोकनायक जयप्रकाश नारायण को रखा गया था. मुझे कोई संदेह नहीं है कि यदि सरकार में हम इस सुझाव को मान लेते तो सैकड़ों आपातकाल पीड़ित माताएं इस समय दीवाली के रूप में उल्लास मनातीं. निश्चित रूप से किसी दूसरे देश में उन्हें ऐतिहासिक न्यूरेमबर्ग ट्रायल के समान कार्यवाही का सामना करना पड़ता. इस असफलता से लोगों ने निष्कर्ष निकाला है कि हम सरकार के लोग नपुंसक हैं, जो देश का शासन नहीं चला सकते."

चौधरी साहब 76 सांसदों के साथ सरकार और जनता पार्टी से अलग हुए। और कांग्रेस सहित कई दलों की मदद से चौधरी साहब ने 28 जुलाई 1979 को प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। पर जिनकी मदद से वे इस मुकाम पर पहुंचे थे उनका जनता पार्टी की टूट और सरकार के पतन का मिशन पूरा हो चुका था। बता दे कि 20 अगस्त तक चौधरी साहब को बहुमत साबित करना था। लेकिन एक दिन पहले ही कांग्रेस ने समर्थन वापस ले लिया। उनका इस्तीफा हुआ और देश के प्रधानमंत्रियों की सूची में उनका नाम तो शामिल हुआ लेकिन वो एक बार भी सदन में नहीं गए ।