Dangerous AC & Fridge: भारत के ज्यादातर घरों में एयरकंडीशनर व फ्रिज में भरी जाने वाली गैस हाइड्रोफ्लोरोकार्बस यानी एचफएफसी गैसें इतनी खतरनाक होती हैं कि यूरोप में इन पर पूरी तरह रोक लगाने की तैयारी की जा रही हैं। हाइड्रोफ्लोरोकार्बंस पर्यावरण व लोगो की सेहत को बहुत ज्यादा नुकसान पहुँचाती हैं। लिहाजा, यूरोपीय संघ में बेहद खतरनाक ग्रीनहाउस गैंसों में शामिल हाइड्रोफ्लोरोकार्बंस गैसों को फेज आउट करने पर संधि समझौता हुआ हैं। संघ के सभी 27 सदस्य साल 2050 तक इन गैसों के प्रयोग पर पूरी पाबंदी लगाने पर सहमत हुए हैं। इन गैसों का हीटिंग व कूलिंग उपकरणों के अलावा फोम में भी प्रयोग किया जाता हैं।

फ्लोरीन व हाइड्रोजन के परमाणुओं से बनाई गई हाइड्रोफ्लोरोकार्बंन गैसें धरती को सूर्य के विकिरण से बचाने वाली ओजोन परत को नुकसान पहुँचाती हैं। यूरोप में 2003 की शुरूआत से ही फ्लोरिटनेटेड गैसों के प्रयोग को धीरे-धीरे बंदर करने की शुरूआत की जा चुकी हैं। इन गैसों को हाइड्रोफ्लोकार्बंस, परफ्लोरोकार्बंस, सल्फर हेक्साफ्लोराइड व नाइट्रोजन ट्राइफ्लोराइड एफ गैसों में ही आती हैं। बता दे कि एफ गैसें एल्युमिनियम प्रोसेसिंग के समय भारी मात्रा में बनती हैं। इनका प्रयोग एयरकंडीशनर, रेफ्रिजेरटर, हीट पंप, एयरोसोल्स व प्रेशर स्प्रे में किया जाता हैं। एफ गैसें अन्य ग्रीनहाउस गैसों की तुलना में ज्यादा तापमान सोखती हैं।

वैज्ञानिकों के अनुसार एफ गैसें हमारे वायुमंडल में लगभग 50,000 साल तक बनी रह सकती हैं। एफ गैसों को लेकर आमतौर पर ज्यादा चर्चा नहीं की जाती हैं। जलवायु पर इनका काफी बुरा असर पड़ता हैं। रेफ्रिजरेटर व एयर कंडीशनर में क्लोरो-फ्लोरो कार्बन या सीएफसी का प्रयोग किया जाता हैं। ये गैस ओजोन परत को सबसे ज्यादा नुकसान पहुँचाती हैं। सीएफसी से निकलने वाली क्लोरीन गैस ओजोन के तीन ऑक्सीजन परमाणुओं में से एक के साथ रिएक्शन करती हैं। बता दे कि क्लोरीन का एक परमाणु ओजोन के 1,00,000 अणुओं को खत्म करता हैं। नतीजतन ओजोन परत लगातार पतली होती रहती हैं।