क्यो 300 साल पुरानी परंपरा 'सलाम आरती'व 'सलाम मंगल आरती' का नाम बदला जा रहा हैं,जानिए
Knowledge : कर्नाकट में 300 साल पहले से चली आ रही परंपरा का नाम अब वहाँ की सरकार द्वारा बदले जाने का फैसला लिया गया हैं। बता दे कि कर्नाटक सरकार टीपू सुल्तान के समय से मंदिरों में की जा रही 'सलाम आरती', 'सलाम मंगल आरती' और 'दीवतिगे सलाम' जैसी परंपराओं के नाम बदलने के बारे में सोचा जा रहा हैं।
सरकार का कहना है कि इन रीति-रिवाजों को बदला नहीं जाएगा। लेकिन इन्हें स्थानीय नाम दिया जाएगा। कर्नाटक सरकार में मंत्री शशिकला जोले का कहना है कि 'सलाम आरती' का नाम बदलकर 'आरती नमस्कार' और 'सलाम मंगल आरती' को 'मंगल आरती नमस्कार' के नाम से जाना जाएगा। इसके अलावा 'दीवतिगे सलाम' का नाम बदलकर 'दीवतिगे नमस्कार' के नाम रखा जाएगा। कर्नाटक सरकार हिन्दू संगठनों की मांग पर टीपू सुल्तान के नाम होने वाले अनुष्ठानों को खत्म करने की अपील की गई हैं।
क्या हैं, पूरा मामला-
कर्नाटक के मेलकोट में एक ऐतिहासिक मंदिर है, जिसका नाम चालुवनारायण स्वामी मंदिर हैं।18वीं शताब्दी में मैसूर के शासक टीपू सुल्तान ने इन मंदिरों की यात्रा के दौरान आरती का नामकरण किया था। इस मंदिर में हर शाम 7 बजे आरती होती हैं। जिसके बाद से जिसे टीपू सुल्तान के आदेश के बाद सलाम आरती नाम रखा गया।
कर्नाटक धर्मिका परिषद के सदस्य और स्कॉलर कशेकोडि सूर्यनारायण भट ने टीपू सुल्तान द्वारा रखे गए इस नाम को बदला जाए। कहना था कि सलाम शब्द हमारा नहीं बल्कि टीपू सुल्तान का दिया हुआ है. नाम बदलने के लिए मांड्या जिला प्रशासन ने इस प्रस्ताव को हिंदू धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ बंदोबस्ती विभाग (मुजरई) को सौंपा दिया था। अब आधिकारिक तौर पर सीएम बसवराज बोम्मई से अंतिम मंजूरी मिलने का इंतजार किया जा रहा हैं। अंतिम मंजूरी मिलते ही नाम को बदल दिया जाएगा।