Knowledge: भारत में शादी होने से कई दिन पहले से ही रीति-रिवाज शुरू हो जाता हैं। और घरो में खुशियों का महौल छा जाता हैं। शादी की इतनी रस्में होती हैं कि हर रस्मों के लिए लोगो द्वारा अलग-अलग कपड़ो व अन्य चीजो की तैयारियाँ करना शुरू कर दिया जाता हैं। भारत में शादी से पहले हल्ती, मातृ-पूजन, जयमाला, सात फेरे व विदाई अन्य रीति-रिवाज हैं। विदाई के समय लड़कियाँ फूट-फूटकर रोती हैं। लेकिन चीन में एक ऐसी परम्परा हैं। जिसके बारे में सुनकर आपको आश्चर्य होगा।

बताया जाता हैं कि चीन में यदि विदाई के वक्त लड़कियाँ नहीं रोती हैं। तो उन्हें मारकर रूलाया जाता हैं।. चीन में विदाई के व्यक्त दुल्हन का रोना अति-आवश्यक होता हैं। Chinadaily की एक रिपोर्ट के अनुसार, चीन में एक जनजाति है तूजिया, जिनमें विदाई के समय दुल्‍हन का रोना बहुत जरूरी है। चीन की इस जनजाति में ये परंपरा 17वीं शताब्दी में चरम पर थी। यह परंपरा यहाँ हजारो सालो से चली आ रही हैं।

इस परंपरा के पीछे एक कहानी हैं। कहा जाता हैं कि चीन में इस परंपरा की शुरुआत 475 ईसापूर्व से 221 ईसापूर्व के बीच हुई थी। इस दौरान ज़ाओ स्‍टेट की राजकुमारी की शादी यैन स्‍टेट में हुई थी। जब वो विदा हो रही थीं तो बेटी के दूर जाने के ग़म में उसकी मां फूट-फूट कर रोने लगीं और बेटी को वापस आने के लिए कहने लगी। उसी समय से इस परंपरा की शुरुआत हुई हैं। ऐसा माना जाता हैं।

ऐसा कहा जाता हैं कि तूजिया समुदाय में दुल्‍हन का रोना इसलिए भी जरूरी है ताकि आस-पड़ोस के लोग दुल्‍हन और उसके माता-पिता का मजाक न उड़ाएं और उन्‍हें खराब पीढ़ी उनको ना मानें, इसके अलावा zhangjiajietour.com की एक रिपोर्ट के अनुसार, पश्चिमी सिचुआन में तो यह रिवाज बिलकुल अलग है। वहां ज़ुओ टांग नाम की परंपरा है। जहाँ पर शादी के एक महीने पहले रात को दुल्हन को एक हॉल में बिठाया जाता है फिर उसे यहां करीब एक घंटे तक रोने को कहा जाता हैं। इन सबमें सबसे बड़ी बात ये हैं कि इस दौरान Crying Marriage Song भी बजाया जाता है। इसके 10 दिन बाद दुल्‍हन की मां भी साथ में रोती है और फिर 10 दिन बाद बहन, बुआ, मौसी, दादी, नानी समेत परिवार की सारी महिलाएं उसी के साथ रोती हैं।