Rudraksha: कल मध्यप्रदेश में स्थित मध्य प्रदेश के सीहोर स्थित कुबेरेश्र्वर धाम में गुरूवार को भागदड़ मच गया। बता दे कि कथावाचक प्रदीप मिश्रा ने रूद्राक्ष वितरण बंद कर दिया हैं। प्रदीप मिश्रा का दावा हैं कि लोग अगर इसे पानी में डालकर रखते हैं। व उस पानी को पीते हैं तो सभी रोग खत्म हो जाएगा। रूद्राक्ष बांटने के दौरान भीड़ बेकाबू हो गए। व भगदड़ मच गया हैं। इसके लिए करीब 6 दिनों में 10 लाख लोगो के आने की उम्मीद थी। लेकिन 16 को ही एक साथ 20 लाख लोग पहुँच गए थे। लेकिन क्या आपको पता हैं कि रूद्राक्ष क्या हैं व ये किस तरह से बनता हैं। नहीं तो चलिए आज हम आपको इसके बारे में बताते हैं।

रूद्राक्ष क्या हैं-

सदगुरू जग्गी वासुदेव महाराज के ईशा फाउंडेशन की वेबसाइड के अनुसार, रूद्राक्ष एक पेड़ के सूखे बीज की तरह होता हैं। यह पेड़ दक्षिण पूर्व एशिया की कुछ खास जगहों पर उगता हैं। विज्ञान की भाषा में इस पेड़ को एलोकार्पस गनीट्रस के नाम से जाना जाता हैं। रूद्राक्ष दो शब्दो से मिलकर बना हैं। रूद्र व अक्ष

  • रूद्र का अर्थ हैं शिव का नाम
  • अक्ष का मतलब हैं आंसू
  • यही वजह हैं कि रूद्राक्ष को भगवान शिव का आंसू कहा जाता हैं।

रूद्राक्ष कैसे निकलता हैं-

एलाओकार्पस गनिट्रस के पौधे में रूद्राक्ष निकलते हैं। ये पेड़ 18 से 24 मीटर लम्बे होते हैं। जो खासतौर पर नेपाल, दक्षिण व दक्षिण पूर्व एशिया के कई हिस्सों में पाए जाते हैं। भारत में इन पेड़ो की करीब 300 प्रजातियाँ हैं। इस पेड़ में लगने वाले फल की गुठती के रूप में पाया जाता हैं। रूद्राक्ष एलाओकापर्स गनिट्रस के पेड़ से जब फल पककर गिर जाता हैं। तो इनका बाहरी हिस्सा धीरे-धीरे हटने लगता हैं। जिससे रूद्राक्ष निकलता हैं।

कितने तरह के रूद्राक्ष पाए जाते हैं-

रूद्राक्ष में धारियाँ जितने हिस्से में होती हैं। वहीं उनका मुख कहलाती हैं। जैसे- एक मुखी, दो मुखी, गुठली के रूप में निकले रूद्राक्ष का सफाई प्रक्रिया से गुजारा जाता हैं। चुनिंदा रूद्राक्ष की जाँच की जाती हैं। व प्राण प्रतिष्ठा के बाद ही इसका प्रयोग किया जाता हैं।