MBBS Student; स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री डॉ भारती पवार ने लोकसभा में कुछ सदस्यों के प्रश्नों के लिखित उत्तर ने कहा कि राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) द्वारा विदेशों में मेडिकल की पढ़ाई करने वाले छात्र को किसी भी भारतीय मेडिकल इंस्टीट्यूट में ट्रांसफर करने या समायोजित में एडमिशन कराने की अनुमति नहीं दी जाएगी। आगे उन्होने कहा कि एनएमसी ने कहा है कि उसके पास इस विषय में कोई जानकारी नहीं हैं। आपको बता दे कि यूक्रेन व रूस के युद्ध के समय कई छात्र यूक्रेन से भारत आये थे। जिसको लेकर ये प्रश्न विपक्ष द्वारा संसद में उठाया गया हैं।

संसद में पूछा गया मेडिकल कॉलेज में एडिमशन पर सवाल-

पश्चिम बंगाल ने यूक्रेन से लौटे 400 से अधिक मेडिकल की पढ़ाई करने वाले भारतीय छात्रों को चिकित्सा शिक्षा प्राप्त करने के लिए राज्य के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश दिया है? जिसपर स्वास्थ्य कल्याण राज्य मंत्री डॉ भारती पवार ने लोकसभी में कहा कि विदेशो में मेडिकल की पढ़ाई करने वाले छात्रो को किसी भी भारतीय मेडिकल इंस्टीट्यूट में ट्रांसफर करने या समायोजित में एडमिशन कराने की अनुमति नहीं दी जाएगी। विदेशी मेडिकल छात्र या तो 'स्क्रीन टेस्ट विनियम, 2002' या 'विदेशी चिकित्सा स्नातक लाइसेंस विनियम, 2021' जैसा भी मामला हो, के दायरे में आते हैं।

उन्होने बताया कि भारतीय चिकित्सा परिषद अधिनियम 1956 और राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग अधिनियम, 2019 और साथ ही विनियमों में मेडिकल छात्रों को किसी भी विदेशी चिकित्सा संस्थान से भारतीय मेडिकल कॉलेजों में समायोजित करने या स्थानांतरित करने का ऐसा कोई प्रावधान नहीं दिया गया है। तथा एनएमसी द्वारा किसी भी विदेशी मेडिकल छात्र को किसी भी भारतीय चिकित्सा संस्थान/विश्वविद्यालय में स्थानांतरित करने या समायोजित करने की अनुमति नहीं प्रदान की गई है।