Morbi Bridge Collapse : जानिए मोरबी ब्रिज का इतिहास, कैसे व किसने बनाया था ये ब्रिज
Morbi Bridge Collapse: गुजरात में कल हुए मोरबी पुल हादसे में देखते ही देखते सैकड़ो की तदाद में लोग नदी में समा गए। जिसने भी उस घटना को देखता उसके रौगटे खड़े हो गए। पहले तो शुरूआत में खबर आई कि केवल 10 लोगो की मृत्यु हुई हैं। जिसके बाद ये तदाद 100 पार कर गयी। लेकिन क्या आपको पता हैं कि इस पुल का निर्माण किसने व कब कराया था। नहीं तो चलिए आज हम आपको मोरबी के इतिहास के बारे में बताते हैं।
मोरबी का इतिहास-
मोरबी का इतिहास राजा वाघ की देन माना जाता है, जिन्होंने साल 1879 से 1948 ई. तक यहां शासन किया था। राजा वाघ ने सदा आम जन के कल्याण को अपने मन-मस्तिष्क में रखकर यहां शासन किया था। वाघ सड़कों, रेलमार्ग आदि पर काम करते थे और उन्होंने उस दौर में ही आधुनिक विकास को मोरबी से जोड़ दिया था। उन्होंने नमक और कपडे़ का निर्यात करने के लिए दो छोटे बंदरगाहों नवलखा और ववानिया का भी निर्माण करवाया था।
राजा वाघ ने मोरबी को लंदन के तर्ज पर बनाने की कोशिश की थी। मोरबी का हैंगिंग ब्रिज और खूबसूरत रिवरफ्रंट लंदन की याद दिलाता है. राजकोट से करीब 60 किलोमीटर दूरी पर स्थित मोरबी शहर की इमारतें और गलियां 19वीं सदी के यूरोप की याद दिलाते हैं। शहर सेरामिक और क्लॉक इंडस्ट्री के लिए जाना जाता है। व्यापार और नदी किनारे बसे होने की वजह से आस-पास के शहरों के लोगो को अपनी ओर आकर्षित करता था और मोरबी का हैंगिग ब्रिज इसका मुख्य आकर्षण केन्द्र था।
मोरबी पुल का निर्माण साल 1880 में पूरा हुआ था. इसे मोरबी के राजा सर वाघजी ठाकुर ने बनवाया था और मुंबई के गवर्नर रह चुके रिसर्च टेम्पल ने इसका उद्घाटन किया था। 142 साल पहले इसे बनने में 3.5 लाख रुपये खर्च हुए थे।