National Sports Day: राष्ट्रीय स्पोर्ट डे से जुड़ी वो कहानी जिससे हैं, आप अंजान
National Sports Day: आज पूरा भारत राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मना रहा हैं, आज के ही दिन भारत के महान खिलाड़ी व हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद जी का जन्म हुआ था। मेजर ध्यानचंद का जन्म 29 अगस्त 1905 को उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में ध्यान सिंह के रूप में हुआ था। ऐसा बताया जाता हैं, कि मेजर ध्यान चंद पहले पहलवान बनना चाहते थे। मेजर ध्यानचंद की उपलब्धियों को देखते हुए सरकार ने इस दिन को राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाने का आगाज किया।
राष्ट्रीय खेल दिवस का इतिहास-
साल 2012 में भारत सरकार ने मेजर ध्यानचंद की जंयती काेे राष्ट्रीय खेेल दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया था। ये दिन इसलिए मनाया जाता हैं, ताकि लोगो की रूचि खेल में अधिक बढ़े और इस दिन भिन्न-भिन्न खेलो में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को सम्मानित किया जा सके। इस दिन भारत के राष्ट्रपति खिलाड़ियों को राष्ट्रपति भवन में सम्मानित करते हैं।
हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद का हुआ था जन्म-
आज के ही दिन उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में मेजर ध्यानचंद जी का जन्म हुआ था। उन्होने अपने जीवन में बहुत-सी उपलब्धिया प्राप्त की थी। साल 1922 में, ध्यानचंद भारतीय सेना का हिस्सा बने और एक सैनिक के रूप में देश की सेवा की। इसके बाद साल 1956 में वह मेजर के पद से भारतीय सेना से रिटायर हुए। ध्यानचंद ने हॉकी में अपना ऐसे कई करतब दिखाए जिसकी वजह से उन्हें "हॉकी का जादूगर" के खिताब से दिया गया।
मेजर ध्यानचंद ने 1926 से 1948 तक अपने करियर में 400 से अधिक अंतरराष्ट्रीय गोल किए थे, जबकि अपने पूरे करियर में लगभग 1,000 गोल किए थे।
मेजर ध्यानचंद द्वारा जीते गए अवार्ड-
भारत ने 1928, 1932 और 1936 के समर ओलंपिक में ओलंपिक स्वर्ण पदक जीतने की पहली हैट्रिक हासिल की जिसमें मेजर ध्यानचंद ने अहम भूमिका निभाई। भारत का तीसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण 1956 में ध्यानचंद को दिया गया था।
हिटलर ने दिया था प्रस्ताव-
1936 की है जब भारत और जर्मनी बर्लिन ओलंपिक के हॉकी फाइनल मैच खेलने जा रहे थे। लाखों लोगों के बीच मैदान में हिटलर भी मौजूद था। जर्मन गोलकीपर टीटो वॉर्नहॉल्त्ज से टकराने के कारण मेजर ध्यानचंद के दांत टूट गये। लेकिन वे जल्द ही मैदान पर आए और जर्मनी को उसी अंदाज में 8-1 से बुरी तरीके से हरा दिया। उनके खेल से प्रभावित होकर हिटलर ने उन्हें प्रस्ताव दिया की जर्मन नागरिकता हासल कर लें और उन्हें जर्मन सेना में कर्नल बनाने के साथ ही धन-दौलत दिया जाएगा। लेकिन मेजर ध्यानचंद ने हिटलर के प्रस्ताव को ठुकरा दिया।