NEET PG; सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल काउंसिलिंग समिति (एमसीसी) को 1450 सीटे खाली रहने पर लगाई फटकार
NEET PG ; सुप्रीम कोर्ट ने नीट-पीजी-21 में 1450 से अधिक सीटें खाली रहने पर मेडिकल काउंसिलिंग समिति (एमसीसी) को फटकार लगाई और कहा कि इस तरह वो उम्मीदवारो को मुश्किलो में डाल रहे हैं। और इसके साथ-ही डॉक्टरो की भी कमी होगी।
NEET PG 2021 याचिका पर क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने-
नीट पीजी 2021 में रिक्त सीटो को लेकर अखिल भारतीय कोटे के तहत आयोजित 'स्ट्रे काउंसलिंग' के बाद भी खाली रह गई 1456 सीटों को भरने के लिए विशेष 'स्ट्रे काउंसलिंग' कराने का अनुरोध किया गया था। जिसपर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गयी थी। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट याचिका सुनने को राजी हुआ था। आज सुप्रीम कोर्ट में इस याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति एमआर शाह और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की अवकाश कालीन पीठ ने कहा-
अगर एक भी खाली सीट बचती है तो उसे खाली नहीं जाने दिया जाना चाहिए। यह मेडिकल काउंसिल का कर्तव्य है कि ये सीटें खाली ना जाए। पीठ ने कहा कि काउंसिलिंग के हर चरण के बाद इसी तरह की समस्या आती है। प्रक्रिया को क्यों नहीं दुरुस्त किया जाता? सीटों को खाली छोड़कर हमें क्या हासिल हो जाता है, जबकि हमें डॉक्टरों की जरूरत है? यह न केवल उम्मीदवारों के लिए समस्या उत्पन्न करता है अपितु यह भ्रष्टाचार को भी प्रोत्साहित करता है।'
इस पर अदालत ने केंद्र और एमसीसी की ओर से पेश अधिवक्ता से कहा कि क्यों नहीं तनाव रहित शिक्षा प्रणाली बनाई जा सकती है जहां पर सबकुछ सुचारु रूप से हो सकता हैं।
आगे पीठ ने कहा ''क्या आप विद्यार्थियों और उनके माता-पिता के तनाव के स्तर को जानते भी हैं? आप काउंसलिंग के बीच में क्यों और सीटें जोड रहे हैं। इस संबंध में पहले ही इस अदालत का फैसला है। सीटों की संख्या और कितने विद्यार्थियों को प्रवेश दिया जाएगा इसको लेकर कट ऑफ तय होना चाहिए। पीठ ने कहा कि यदि विद्यार्थियों को प्रवेश नहीं दिया गया तो वह इस मामले में आदेश पारित कर सकता है और उन उम्मीदवारों के लिए मुआवजा देने का निर्देश भी जारी कर सकता है। जिन्हें प्रवेश से इंकार किया गया था।इन सबके बाद अदालत ने अधिवक्ता से पूछा कि प्रवेश का प्रभार किसके पास है, इसपर वकील ने कहा कि महानिदेशक, स्वास्थ्य सेवा (डीजीएसएस) के पास। शीर्ष अदालत ने अधिवक्ता से सूचना मिलने के बाद मौखिक टिप्पणी की, ''डीजीएचएस से कहें कि वह बृहस्पतिवार को अदालत में मौजूद रहें।''
पीठ ने आगे कहा कि कुछ जिम्मेदारियों को तय करने की जरूरत है। ''विद्यार्थियों का भविष्य दांव पर लगा है। उनको पहले कठिन पढ़ाई करनी पड़ती हैं और फिर परीक्षा देनी पड़ता हैं। वहीं आपको 99 प्रतिशत अंक भी परीक्षा में आते हैं तो प्रवेश की समस्या आती हैं उसके बाद विशेषज्ञता की समस्या आती है। आप विद्यार्थियों की स्थिति को समझते भी हैं की नहीं ।'
इस पर अधिवक्ता ने कहा कि वह अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल बलबीर सिंह की अध्यक्षता में काम कर रहे हैं और उन्हें कुछ निजी समस्या है, इसलिए इस सुनवाई को आज स्थगित कर देना चाहिए। इसपर पीठ ने कहा कि यह चिकित्सा छात्रों के अधिकारों से जुड़ा गंभीर मामला है और भारत सरकार का प्रतिनिधित्व केवल एक अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल द्वारा नहीं किया जा सकता हैं पीठ ने आज ही हलफनामा दाखिल कर याचिकाकर्ताओं को प्रति देने का निर्देश देते हुए मामले की सुनवाई बृहस्पतिवार तक स्थगित कर दी हैं। इस मामले में अगली सुनवाई बृहस्पतिवार को होगी।