Sawami Swaroopanad Saraswati Death: द्वारका-शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के निधन के बाद सोमवार यानी आज उन्हें भू-समाधि दी जाएगी। बता दे कि स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती हिन्दू धर्म के सबसे बडे धर्म गुरु थे। इन्होने मात्र 9 साल की उम्र में ही अपना घर छोड़ दिया था। हिंदू धर्म में हमेशा आपने सुना होगा कि जब किसी साधु-संत की मृत्यु हो जाती हैं। तो उन्हें समाधी दी जाती हैं। जानिए आखिर ये समाधि होती क्या हैं और क्या-क्या होता हैं इसके दौरान

क्यो दी जाती हैं, साधु-संतो को समाधी-

हिंदू धर्म में यदि कोई व्यक्ति मृत्यु को प्राप्त होता हैं, तो उसे जलाकर अंतिम संस्कार किया जाता हैं। लेकिन साधु-संतो को समाधि दी जाती हैं। ऐसा इसलिए किया जाता हैं क्योकि साधु-संत अपना पूरा जीवन परोपकार में व्यतित कर देते हैं। और अंत समय में जलाने पर पर्यावरण को नुकसान पहुँचेगा। इसलिए उनको जलाने की जगह जल या जमीम में समाधि दी जाती हैं। इसके पीछे की एक और वजह हैं कहा जाता हैं कि जब जमीन या जल में संतों की समाधि दी जाती है तो उनका शरीर लाखों-करोड़ों जीवों का आहार बन जाता है। दूसरी- संतों को अग्नि का सीधेतौर पर स्पर्श करने की मनाही होती है। इसलिए इनका शरीर जमीन या जल में विलीन करने की परंपरा बनी हैं।

इस प्रकार दी जाती हैं समाधि-

  • समाधि देने के लिए सबसे पहले 6 फीट लम्बा, 6 फीट गहरा और 6 फीट चौड़ा गड्ढा खोदा जाता हैं और उसे गोबर से लीपा जाता हैं।
  • समाधि देने से पहले नहलाया जाता हैं और उन्हें वस्त्र पहनाया जाता हैं जो वो पहनते हैं।
  • इसके बाद चंदन का टीका, भस्म व रूद्राक्ष की माला पहनायी जाती हैं।
  • इसके बाद इनके शरीर पर घी का लेप लगाया जाता हैं, ताकि छोटे-छोटे जीव उनकी तरफ आकर्षित हो।
  • कई जगह समाधि देने से पहले हवन किया जाता हैं और गड्ढे में नमक डाला जाता हैं ताकि शरीर आसानी से गल सके।
  • अंत में मंत्रों के उच्चारण के साथ मिट्टी भरी जाती है और इस तरह उन्हें भू-समाधि दे दी जाती हैं।
  • साधू-संतों को भू-समाधि देने के बाद षोडसी प्रक्रिया पूरी की जाती हैं। जिसके तहत समाधि के 16वें दिन भंडारा किया जाता हैं।