नोटबंदी के 6 साल पूरे होने पर जानिए कैसे छपता हैं भारत में नोट व कैसे होता नष्ट
Note Bandhi In India : आज के ही दिन भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रात में एक ऐसा आदेश जारी किया। जिसके बाद से भारत के बैंको के बाहर लोगो की लम्बी-लम्बी लाइने लग गई। कितने ही लोगो ने अपने-अपने कारीगरो को 4-4 महीने पहले की ही पेमेंट दे दी थी। तो वहीं कितने लोगो को नौकरियों व कारोबार से हाथ धोना पड़ गया था। शायद ही कोई आज का दिन यानि 8 नवंबर 2016 का वो दिन नोटबंदी ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था।
RBI की रिपोर्ट की कहती है, मार्च 2021 तक देश में दो हजार के लिए 24,510 लाख नोट का चलन था। जोकि अब 500 के नोट ही 2000 के नोटों ने ले लिया हैं। त उस दिन को कभी भूल पाएगा। जानिए भारत में नोट से संबंधित फैसला कौन लेता हैं।
भारत में नोट कौन छापता हैं-
भारत में नोट छापने का काम 100, 500 या 2 हजार के कितने नोट छापे जाएं यह फैसला रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI), सेंट्रल बोर्ड और केंद्र सरकार मिलकर लेते हैं। आंकड़ा तय होने के बाद करंसी प्रिंटिंग प्रेस में छपने के लिए भेजा जाता है। तथा वर्तमान में RBI नासिक (महाराष्ट्र), देवास (मप्र), मैसूर (कर्नाटक) और सालवनी (प. बंगाल) स्थित करंसी प्रिंटिंग प्रेस को छपाई के ऑर्डर देता हैं। इसके अलावा लोगो के जरूरत को मद्देनजर रखते हुए नोट को छापा जाता हैं।
देश के अलग-अलग शहरो में नोट छापने का कार्य किया जाता हैं। 9 शहरों में आरबीआई के करंसी इश्यू ऑफिस इस समय मौजूद हैं। इसके अलावा शेड्यूल्ड बैंकों के 3054 ब्रांच के जरिये भी बैंकों को नोट दिए जाते हैं। यही से बैंकों तक नए करंसी नोट पहुंचाने का काम किया जाता हैं।
डैमेज नोटो का क्या होता हैं-
जब नोट छपने के बाद भारत के बाजारो में आ जाता हैं तब खराब होने लगता हैं। जिसमें से 500-2000 के नोट 5 से 7 साल तक चलता हैं। इस दौरान नोट अधिक कटा-फटा नोट बैंकों तक पहुंचता है तो उसे RBI को भेज दिया जाता हैं। जहाँ पर आरबीआई के विशेषज्ञ यह फैसला लेते हैं कि इसे फिर से प्रयोग में लाया जाएगा या नष्ट किया जाेगा।
कैसे नष्ट किया जाता हैं नोट को-
जो नोट बिल्कुल भी इस्तेमाल करने के काबिल नहीं रहते हैं। उसे आरबीआई द्वारा नष्ट करने का फैसला लिया जाता हैं। इसके बहुत-ही छोटे टुकड़े किए जाते हैं। जिसके बाद इसे ह्यूमिडिटीफायर से गुजारा जाता है। फिर बचा हुआ हिस्सा जमीन में गाड़ दिया जाता है। ताकि इन टुकड़ो को जोड़कर दुबारा गलत तरीके से प्रयोग ना किया जा सके।