Shri Krishna Education: श्रीकृष्ण ने जहाँ ली शिक्षा अब वो जगह यहाँ स्थित हैं
Janmashtami, Shri Krishna Education: भगवान श्रीकृष्ण ने कंस का वध करने के बाद मथुरा का राज-पाठ अपने नाना उग्रसेन को सौंप दिया था। जिसके बाद श्रीकृष्ण के पिता वसुदेव और माता देवकी ने उन्हें यज्ञोपवीत संस्कार और शिक्षा के लिए उज्जैन में संदीपनी ऋषि के आश्रम में भेज दिया था। यहां ही कृष्ण ने चौंसठ दिन में चौंसठ कलाएं सीखीं थी और साथ ही वेद-पुराण का अध्ययन भी किया था।
यहाँ पर श्रीकृष्ण ने सीखी थी चौंसठ कलाएं-
तक्षशिला और नालंदा की तरह ही उज्जैन भी द्वापर युग में ज्ञान-विज्ञान और संस्कृति का एक महत्वपूर्ण केन्द्र था। गुरु संदीपनी के आश्रम में भगवान श्रीकृष्ण, उनके भाई बलराम और मित्र सुदामा ने शिक्षा प्राप्त की थी। इसी आश्रम में श्रीकृष्ण और सुदामा की भेंट हुई थी। जो आगे चलकर संसार में अटूट मित्रता की मिसाल बनी था। जब श्रीकृष्ण की शिक्षा पूरी हो गई तो इसके बाद उन्होंने गुरुमाता को गुरु दक्षिणा देने की बात कही थी। तब गुरुमाता ने कृष्ण को अद्वितीय मान कर गुरु दक्षिणा में उनका पुत्र वापस मांगा, जिसकी मृत्यु प्रभास क्षेत्र में जल में डूबने के कारण हो गयी थी।
शंखासुर नामक एक राक्षस का पेट चीरकर निकाला शंख-
तब गुरूमाता की आज्ञा का पालन करते हुए भगवान श्रीकृष्ण समुद्र में गए और वहां मौजूद शंखासुर नामक एक राक्षस का पेट चीरकर एक शंख निकाला था। जिसे "पांचजन्य" शंख कहा जाता हैं। इस शंख को लेकर वो यमराज के पास गए और गुरूमाता के पुत्र को वापस लेकर आए।
उज्जैन व यूपी व कई जगहो पर हैं संदीपनी ऋषि का आश्रम-
महर्षि संदीपनी का आश्रम शिप्रा नदी के गंगा घाट पर स्थित है. महाकालेश्वर मंदिर से इसकी दूरी करीब सात किलोमीटर है। ऐसा कहा जाता हैं कि श्रीकृष्ण ने गुरू संदीपनी के स्नान के लिए गोमती नदी का पानी उपलब्ध कराया था। जिसकी वजह से वहाँ पर एक कुंड भी स्थित हैं। उस आश्रम के पास एक पत्थर पर 1 से लेकर 100 तक गिनती लिखी हुई है और ऐसा माना जाता है कि यह गिनती गुरु संदीपनी द्वारा लिखी गई
तथा इसके साथ ही महाभारत में ऋषि संदीपनी के अन्य स्थान पर आश्रम के बारे में वर्णन किया गया हैं। जिसके प्रमाण इंद्रप्रस्थ, हस्तिनापुर, मथुरा, अहिचछ्त्र में मौजूद हैं। कौशाम्बी में संदीपनी मुनि का यह आश्रम कोखराज थाना से दस किलोमीटर दूर जी.टी.रोड से उत्तर दिशा में गंगा के तट पर भी स्थित हैं।