Knowledge: उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने हलाल सर्टिफिकेशन को बैन कर दिया गया हैं। उत्तर प्रदेश में अब कोई भी ऐसा प्रोडक्ट नहीं मिल पाएगा, जिसमें हलाल है या फिर नहीं.. इस फैसले के बाद हलाल को लेकर एक बार फिर विवाद शुरू हो गया हैं। विपक्षी दलों ने बीजेपी सरकार को घेरना शुरू कर दिया हैं। तो वहीं तमाम संगठन भी इसे लेकर अपनी राय दे रहे हैं। चलिए आज हम आपको बताते हैं कि ये हलाल सर्टिफिकेशन क्या होता हैं व इसे कौन जारी करता हैं।

हलाल क्या होता हैं-

बता दे कि हलाल का मतलब जानवर जिबह करके मारा जाता हैं। उसके मांस को हलाल कहा जाता हैं। जिबह करने का मतलब ये होता हैं कि जानवर के गले को पूरी तरह काटने की बजाय उसे रेत दिया जाता हैं। जिसके बाद उसके शरीर का लगभग सारा खून बाहर निकल जाता हैं। ऐसे ही जानवरों के मांस को हलाल मीट वाला सर्टिफिकेशन मिलता हैं।

हलाल सर्टिफिकेट क्या हैं-

बता दे कि हलाल सर्टिफिकेशन को ऐसे प्रोडकट्स जिन्हें मुस्लिम समुदाय के लोग प्रयोग कर सकते हैं। मुस्लिम लोग हलाल प्रोडक्ट्स का ही प्रयोग करते हैं। सर्टिफाइड होने का मतलब होता हैं कि समुदाय के लोग ऐसे प्रोडक्ट्स को बिना किसी संकोच खा सकते हैं।

भारत में पहली बार 1947 में हलाल सर्टिफिकेशन की शुरूआत की गई थी। भारत में हलाल सर्टिफिकेशन के लिए कोई सरकारी संस्था नहीं हैं। कई प्राइवेट कंपनियां व संस्थाएं ऐसे सर्टिफिकेशन को जारी करती हैं। बता दे कि हलाल मार्केट को बढ़ाने के लिए कुछ संस्थाएं ऐसे प्रोडक्ट्स पर भी ये सर्टिफिकेशन दे रही हैं. जिन्हें तमाम लोग रोजाना प्रयोग करते हैं। यूपी सरकार का कहना हैं कि सिर्फ मीट की बिक्री पर ही ऐसे सर्टिफिकेशन की आवश्यकता होती हैं। पैकेज्ड फूड पर ऐसे सर्टिफिकेशन की आवश्यकता नहीं हैं।