UN पीस मिशन का गठन कब हुआ हैं, जानिए इजराइल-हमाश से क्या हैं रिश्ता

UN Peace Mission: इजराल-हमास, इजराल-हिजबुल्लाह के संघर्ष व युद्ध के बीच बड़ी संख्या में भारतीय सेना के जवान लेबनान-इजराइल सीमा पर तैनात हैं। लेबनान के दक्षिणी इलाके में ये जवान ठीक उसी जगह तैनात हैं जहाँ पर इजराइल की तरफ से हिजबुल्लाह के ठिकानों पर जवाबी कार्यवाही में बमबारी की जा रही हैं। ये सभी जवान यूएन पीस मिशन का हिस्सा हैं। ऐसे में समझना ये अनिवार्य हैं कि इजराइल-हमास व इजराइल-हिजबुल्लाह के बीच चल रहे संघर्ष में भारतीय जवान क्यों पहुंचे हैं और आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि यूएन पीस मिशन की स्थापना कब हुई हैं।
UN Peace मिशन की स्थापना कब हुई-
यूएन पीस मिशन का गठन 1948 में हुआ था व इसमें इजराइल व अरब देशों की बड़ी भूमिका रही हैं। इजराइल देश अभी अस्तित्व में आया ही था कि अरब लीग से जुड़े कई देशों ने उस पर हमला कर दिया था। उसी समय संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने इजराइल व अरब देशों के बीच हुए युद्ध विराम समझौते की निगरानी के लिए सैनिकों का दस्ता भेजा गया हैं। जिसे संयुक्त राष्ट्र पीस कीपिंग मिशन का हिस्सा माना गया हैं।
कितने देश के जवान इसमें शामिल-
आज तक दुनिया के जिस कोने में गृह युद्ध हुआ हैं। दो देशों के बीच युद्ध हुआ, यूएन पीस मिशन के जवान तैनात किए जाते हैं। इसमें दुनिया के 120 देशों के सैन्य-पुलिस जन तैनात किए जाते हैं। इनमें जवान से लेकर अफसर तक शामिल हैं। इनकी तैनाती के नियम यूनाइटेड नेशन ही बनाता हैं। अंतिम चयन भी वहीं करता हैं। मिशन का उद्देश्य शांति की स्थापना करना हैं। इसमें तैनात जवान बल का प्रयोग किया जाएगा। जब स्थानीय लोगों की जान जोखिम में हो या आत्मरक्षा के लिए अन्यथा इन्हें सामान्य दशा में बल का प्रयोग करना मना हैं।
इस तरह कहा जा सकता है कि इजराइल इस समय हमास और हिजबुल्लाह, दोनों से लड़ रहा है. दोनों का अपने-अपने इलाकों में जबरदस्त प्रभाव है. हिजबुल्लाह लेबनान की सरकार में बहुत ताकतवर है तो हमास की गाजा पट्टी में सरकार चल रही है। इसके जवाब में इजराइल ने जवाबी हमला भी किया हैं। लक्ष्य हिजबुल्लाह के ठिकानों को ध्वस्त करने का हैं क्योकि इजराइल-हमास के बीच चल रहे युद्ध में हिजबुल्लाह ने अगले दिन ही हमास का साथ देने की न केवल घोषणा कर दी गई हैं, जबकि इजराइल पर रॉकेट भी दागना शुरू कर दिया गया हैं।
कितने की गई जान-
भारतीय सुरक्षा बलों की यूएन पीस मिशन में बड़ी भूमिका हैं। अब तक विभिन्न अभियानों में हमारे 2.75 लाख जवान-अफसर यूएन शांति मिशन पर जा चुका हैं। यह तैनाती के समय के लिए होती हैं। यूएन की नजर में हमारे जवानों की साख बहुत शानदार हैं। हमारे जवानों ने अनेक बार यूएन से मेडल भी जीता हैं। यूएन पीस मिशन में लगभग 180 जवान शहीद हो चुके हैं। मिशन पर भेजने से पहले जवानों-अफसरों को ट्रेनिंग को नई दिल्ली में सेंटर फॉर यूनाइटेड नेशन पीस कीपिंग की स्थापना की गई हैं। यूएन पीस मिशन में भारतीय सेना में शामिल महिलाओं को भी तैनात किया जा रहा हैं।