Music बजने पर हर किसी का पैर अपने आप ही डांस करने के लिए डांस फ्लोर पर आने के लिए मजबूर हो जाता हैं। दुनिया में ऐसे बहुत कम लोग होंगे जिनका म्यूजिक सुनकर डांस करने का मन नहीं करता होगा। लेकिन क्या कभी आपने इस बात के बारे में सोचने की कोशिश की हैं। कि आखिर ऐसा क्या होता हैं म्यूजिक में कि जिसके बजने से ही आपके पैर थिरकने लगते हैं। इस पर कनाडा में एक इलेक्ट्रॉनिक म्यूजिक कॉन्सर्ट में इस बारे में स्‍टडी की गई है, जो 'करंट बायोलॉजी' में प्रकाशित हुई हैं। कुछ सालो पहले इस पर अस्ट्रेलिया में स्टडी की जा चुकी हैं।

क्यो होता हैं ऐसा-

शोधकर्ताओं ने जब इसपर रिसर्च किया तो उन्होने देखा कि मस्तिष्क की हर हरकत म्‍यूजिक की धुन की आवृत्ति पर निर्भर करती है। जिस गाने में बेस ऊंचा है तो पैर व शरीर ज्यादा थिरकता हैं। शोधकर्ताओं के मुताबिक, इस तरह की रिसर्च कई तरह की मेडिकल कंडीशन को समझने और बीमारियों का इलाज करने में इस्तेमाल हो सकती हैं।

तो वहीं ऑस्‍ट्रेलियाई रिसर्चर्स के अनुसार, म्‍यूजिक पर थिरकने का कारण है- म्‍यूजिक का बेस(Bass), स्‍टडी में उन्‍होंने लो और हाई फ्रिक्‍वेंसी साउंड पर मस्तिष्‍क के भीतर होनेवाले बदलावों का विश्‍लेषण किया गया हैं। रिसर्चर्स ने इसे समझने के लिए इलेक्ट्रोएन्सेफेलोग्राफी का इस्तेमाल किया हैं। इसी से मष्तिक के हरकतो को रीड किया जाता हैं।

नई शोध के अनुसार रिसर्च स्‍टडी की. मैकमास्टर यूनिवर्सिटी के न्यूरोसाइंटिस्ट डेविड कैमरन के अनुसार, कम फ्रीक्‍वेंसी वाला बेस बजाने पर भी लोगों ने 12 फीसदी ज्‍यादा डांस किया हैं। जबकि उनको ये भी नहीं समझ आ रहा था कि बार-बार म्यूजिक का बेस बदला जा रहा हैं। जिसके अनुसार उन्होने कहा कि कि इलेक्ट्रॉनिक म्यूजिक कॉन्सर्ट में जब बेस ज्यादा होता है तो लोगों को तब ज्यादा मजा आता हैं।

इनके अनुसार यदि बेस ना भी सुनाई दे तो भी पैर थिरकने लगता हैं। कान के अंदरूनी हिस्से (त्वचा या मस्तिष्क के संतुलन बनाने वाला पार्ट) में पैदा होने वालीं ये संवेदनाएं गति को प्रभावित करती हैं। जोकि मष्तिक के अगले हिस्से तक जाती हैं यह सब अवचेतन रूप से होता है. इन संवेदनाओं से शरीर के गति-सिस्‍टम को ऊर्जा मिलती है और इंसान थिरकने लगता हैं।

इन सभी प्रयोगो से अभी तक ये सिद्ध नहीं हो पाया हैं कि जब म्यूजिक बजता हैं तो इंसान क्यो नाचता हैं। लेकिन आगे के शोध में इस बात की पुष्टि हो जाएगी।