भारत के इस मंदिर में देवी-देवताओं व डायनो का युद्ध होता हैं, देखे तस्वीरे
Devil and Deities War in Mandi: हिमाचल प्रदेश देवी-देवताओं की भूमि है और यहां पर देवी-देवताओं की सदियों पुरानी परंपराओं का निर्वहन किया जाता हैं। देवी-देवताओं और डायनों के छिडे महासंग्राम का अंतिम परिणाम पत्थर चौक यानी 30 अगस्त को देव धार में अधिष्ठाता देव सत बाला कामेश्वर के दरबार में
ऐसी मान्यता है कि ऋषि पंचमी तक जनपद में ज्यादातर देवी-देवताओं के मंदिरों के कपाट बंद रहते हैं और नागपंचमी या ऋषि पंचमी तक देवता डायनों के साथ हार-पासे का खेल खेलकर वापस अपने मंदिरों में विराजमान होते हैं। और देवी-देवताओं के गुर आग के अंगारों पर चलकर अग्निपरिक्षा देते हैं।
Devil and Deities War in Mandi: मंडी. हिमाचल प्रदेश देवी-देवताओं की भूमि है और यहां पर देवी-देवताओं की सदियों पुरानी परंपराओं का निर्वहन आज भी पूरी श्रद्धा भाव के साथ किया जाता है। ऐसी ही एक मान्यता के अनुसार हिन्दी संवत के अनुसार मंडी जनपद में भाद्रपद के महीने में देवताओं और डायनों का युद्ध होता हैं। जिसमें जनपद के विभिन्न मंदिरों में रात्रि बारह बजे जाग होम का आयोजन किया जाता हैं।
देवी-देवताओं और डायनों के छिडे महासंग्राम का अंतिम परिणाम पत्थर चौक यानी 30 अगस्त को देव धार में अधिष्ठाता देव सत बाला कामेश्वर के दरबार में सुनाया जाएगा। पिछले 58 साल से इस जाग होम का आयोजन किया जाता हैं।
महाकाली मंदिर पुरानी मंडी की कमेटी के कोषाध्यक्ष ने बताया है कि यह देवी-देवताओं और इतिहास से जुड़ी पौराणिक परंम्पराओं पर आधारित हैं और आज भी इस परंपरा का प्रचलन यहाँ पर हैं। उन्होने कहा कि मान्यताओं के अनुसार अगर देवता विजयी रहते हैं तो क्षेत्र में सुख शांति बनी रहती है और यदि डायनों की जीत होती है तो इलाके में फसल अच्छी होती हैं।