Mandi Beas River Flood: मंडी हिमाचंल प्रदेश में भारी बारिश की वजह से करोड़ों रूपए का नुकसान हुआ हैं। सबसे अधिक नुकसान मनाली से लेकर मंडी तक देखा गया हैं। मनाली से लेकर मंडी तक ब्यास ने ऐसा तांडव मचाया हैं कि 100 साल पुराने पुल भी बह गए हैं।

इंटरनेट पर लोग लगातार पंजवक्स्त्र मंदिर की तस्वीर शेयर कर रहे हैं। और लिख रहे हैं कि सारा आधुनिक निर्माण धराशाई हो गया हैं। जबकि यह मंदिर टिका हुआ हैं। मंडी में भगवान शिव का प्रसिद्ध पंचवक्त्र मंदिर हैं। ब्यास किनारे बना मंदिर हर मॉनसून सीजन में जलमग्न हो जाता हैं। मंदिर पूरी तरह से नहीं डूबता हैं।

ब्यास किनारे बसा मंदिर हर मॉनसूल सीजन में जलमग्न हो जाता हैं। हालांकि मंदिर पूरी तरह नहीं डूबता हैं। ये मंडी में भगवान शिव का प्रसिद्ध पंचवक्त्र मंदिर हैं।

बता दे कि शिव के पंचवक्त्र यानी पांच मुख वाले इस मंदिर की स्थापना मंडी के शासक अजबर सेन ने की थी। मन मोहन की किताब हिस्ट्री ऑफ द मंडी स्टेट में जिक्र हैं कि 1717 में ब्यास में आई बाढ़ में इस मंदिर का नुकसान पहुँचा व पंचमुखी शिव प्रतिमा बह गई हैं। फिर सिद्ध सेन (शासनकाल 1684 से 1727) ने मंदिर का जीर्णोद्वार करवाकर नई प्रतिमा प्रतिष्ठित की थी। लेकिन पुरानी प्रतिमा का क्या हुआ आजतक नहीं पता चला

मान्यता हैं कि मंडी से कुछ किलोमीटर दूर ब्यास नदी के किनारे जोगिंद्र नगर का लांगणा क्षेत्र में पंचमुखी शिव मंदिर हैं। लोगो का कहना हैं कि यह प्रतिमा ब्यास नदी में बहकर आई थी व पेड़ की जड़ में फंसी हुई थी। यह 150-200 साल पुरानी बात हैं।

मंडी जिले में ब्यास नदी पर पड़ने वाले कई पुल ध्वस्त हो गए। पंडाह में 100 साल पुराना लाल पुल टूट गया हैं। यहाँ तक की 50 साल पुराना पुल ब्यास में बह गई हैं। इसी तरह कोटली के कून तर में भी पुल टूटा हैं।