NASA (नासा) ने बताया कि पृथ्वी (Earth) की ही तरह मंगल (Mars) पर भी सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse) होता हैं। पृथ्वी पर होने वाले सूर्य ग्रहण व मंगल पर होने वाले सूर्य ग्रहण में कितना अंतर हैं। इसके लिए नासा (NASA) के तीन रोवर ने मंगल ग्रह (Mars) पर उसके चंद्रमाओं के कारण वहां होने वाले सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse) को रिकॉर्ड किया है। नासा ने इनके वीडियो जारी किए हैं जिनसे पता चलता है। पृथ्वी व मंगल पर होने वाले सूर्यग्रहण के बीच अंतर


पृथ्वी पर सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse) में चंद्रमा सूर्य को ठीक तरह से ढक लेता है। लेकिन मंगल ग्रह और उसके चंद्रमाओं (Moons of Mars) फोबोस और डीमोस की वजह से भी सूर्य ग्रहण लगते हैं। दोनो में काफी अंतर हैं। पृथ्वी की तरह मंगल ग्रह के चंद्रमाओं की भी छाया मंगल पर पड़ती है। जहां फोबोस 7.65 घंटे में और डीमोस 30.35 घंटों में मंगल का एक चक्कर पूरा कर पाते हैं। ये दोनों ही चंद्रमा हमारी पृथ्वी के चंद्रमा से बहुत छोटे होते हैं। और आकार में गोल ना होने की वजह से ये मंगल पर पूर्ण सूर्यग्रहण नहीं कर पाते हैं। मंगल से ये प्राकृतिक उपग्रह परागमन के दौरान सूर्य पर केवल एक धब्बे के तौर पर दिखाई देंगे।

वैज्ञिनिकों ने मंगल पर फोबोस की छाया का मंगल पर अजीब सा प्रभाव अवलोकित किया है। मंगल ग्रह की भूकंपीय गतिविधियों का मापन करने के लिए इन्साइट लैंडर ऐसी घटना के दौरान थोड़ा सा झुक जाता है। उनका कहना है कि ऐसा मंगल की सतह में विकृति आने से होता जो सौर विकिरण कम होने से सतह को थोड़ा ठंडा हो जाता हैं।


मंगल पर दोनो चन्द्रमा मिलकर भी सूर्य को पूरी तरह से ग्रहण नहीं लगा पाते हैं। जहाँ फोबोस चंद्रमा सूर्य का 40 प्रतिशत प्रकाश रोक पाता हैं। तो वहीं दूसरा चन्द्रमा डीमोस दूर होने की वजह से सूर्य का ज्यादा प्रकाश नहीं रोक पाता हैं। तो वहीं पृथ्वी का चन्द्रमा सूर्य की अपेक्षा 400 गुना छोटा होने के बावजूद भी पृथ्वी को पूरी तरह से ढ़क लेता हैं।

हमें साल में एक ही बार ऐसा सूर्य ग्रहण देखने को मिलता है जब सूर्य को चंद्रमा पूरी तरह से नहीं ढक पाता है और उसके आसपास एक रिंग देखने को मिलती हैं। ये रिंग इसलिए दिखाई देता हैं क्योकि सूर्य और चंद्रमा की कक्षा के आकार भी पूरी तरह से वृत्ताकार नहीं हैं जिससे दोनों हमेशा पृथ्वी से समान दूरी पर भी नहीं रह सकते हैं।