देश के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जिन्होने गरीब घर से निकलकर देश के प्रधानमंत्री के पद तक पहुँचे लाल बहादुर शास्त्री की सादगी के बहुत-से किस्से मिल जाएंगे। उनकी ईमानदारी की मिसाल दी जाती है। उन्होने लाल बहादुर शास्त्री का 11 जनवरी 1966 को ताशकंद में निधन हो गया था। आज हम लाल बहादुर शास्त्री का 11 जनवरी 1966 को ताशकंद में निधन हो गया था। आइए पुण्यतिथि पर जान लेते है कि क्यो करते थे रूस व पाकिस्तान लाल बहादुर शास्त्री की तारीफ


जनवरी 1966 में सोवियत संघ की अगुवाई में भारत व पाकिस्तान के बीच समझौते के लिए एक बैठक बुलाई गई थी। पीएम लाल बहादुर शास्त्री सोवियत संघ के ताशकंद (अब उज्बेकिस्तान में) गए हुए थे। पाकिस्तान के तत्कालीन अयूब खान भी हुए थे।


ताशकंद में सर्दी बहुत पड़ रही थी व लाल बहादुर शास्त्री केवल अपना ऊनी कोट पहने हुए थे। रूस के तत्कालीन प्रधानमंत्री एलेक्सी कोसिगिन ने उनका पहनावा देखा तो तुरंत समझ गए कि ताशकंद की सर्दी नहीं जाएगी व लाल बहादुर शास्त्री बीमार पड़ सकते हैं। यही सोचकर उन्होंने उन्हे एक ओवरकोट गिफ्ट किया।


इसके बाद भारत के प्रधानमंत्री व पाकिस्तान के राष्ट्रपति के सम्मान में ताशकंद में एक सांस्कृतिक समारोह का आयोजन किया गया। इसमें रूस के प्रधानमंत्री ने पूरी घटना का खुलासा कर दिया। उन्होंने कहा कि हम यानी सोवियत संघ के लोग भले ही कम्यूनिस्ट है पर भारत के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री तो सुपर कम्युनिस्ट है।


10 जनवरी 1966 को ताशकंद में भारत व पाकिस्तान के बीच समझौते पर हस्ताक्षर हो गया था। उसके अगले ही दिन 11 जनवरी को वहीं लाल बहादुर शास्त्री का निधन हो गया था। इसके बाद सबसे पहले उस स्थान पर पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान पहुँचे थे। जहाँ लाल बहादुर शास्त्री ठहरे हुए थे। उनके पार्थिव शरीर को देखकर अयूब खान के मुंह से अंग्रेजी में एक ही शब्द निकला- यहाँँ वह इंसान लेटा हैं जो पाकिस्तान व भारत को साथ ला सकता था।