लखनऊ;

समाजवादी पार्टी (सपा) के मुखिया अखिलेश यादव के लिए विधानसभा चुनावों में मिली करारी हार के बाद आयी ईद भी खुशियों की जगह कड़वाहट लेकर आयी. ईद की सुबह अखिलेश से नाराज चल रहे पार्टी के दिग्गज नेता आजम खान ने चुप्पी तोड़ते हुए इशारों में अखिलेश यादव पर निशाना साधा. इसके कुछ देर बाद ही शिवपाल सिंह यादव ने ईद के मौके पर लोगों को मुबारकबाद देते हुए कहा है कि जिसे हमने चलना सिखाया, वह हमें रौंदता चला गया। शिवपाल के इस कथन को सीधे तौर पर अखिलेश पर हमला माना जा रहा है. इसके साथ ही अब लगभग-लगभग यह बात तय हो गई है कि देश के सबसे ताकतवर समझे जाने वाले यूपी के यादव परिवार से एक और शख्स अखिलेश यादव के खिलाफ मोर्चा खोलने का मन बना चुका है. और इस अभियान में आजम खान का साथ भी उन्हें मिलेगा.

ईद की सुबह अखिलेश यादव पर सियासी हमले की शुरुआत ढ़ाई साल से सीतापुर जेल में बंद आजम खान की तरफ से हुई. ढ़ाई साल में पहली बार आजम खान ने अपनी उपेक्षा से खफा होकर कुछ कहा है. आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम ने अपने ट्विटर हैंडल से आजम खान के हवाले से एक ट्वीट किया. जिसमें आजम खान ने ईद की मुबारकबाद के साथ कहा, ''तू छोड़ रहा है, तो ख़ता इसमें तेरी क्या, हर शख्स मेरा साथ, निभा भी नहीं सकता. वैसे तो एक आंसू ही बहा के मुझे ले जाए, ऐसे कोई तूफ़ान हिला भी नहीं सकता. ईद मुबारक. कहा जा रहा है कि आजम खान का इशारा अखिलेश यादव की तरफ है. आजम के करीबी लगातार इस बात को कहते रहे हैं कि सपा मुखिया अखिलेश यादव को आजम खान के जेल में होने का कोई गम नहीं है और उनकी रिहाई के लिए कुछ नहीं किया गया. आजम खान के इस सियासी हमले के कुछ देर बाद ही शिवपाल सिंह यादव ने अखिलेश यादव का नाम लिए बिना ही उन पर अब तक का सबसे बड़ा हमला बोला और उन्होंने अपने अगले राजनीतिक कदम के भी संकेत दे दिए.

जिसके तहत शिवपाल यादव ने ट्वीट के जरिये ईद के मौके पर प्रदेशवासियों को मुबारकबाद दी. अपने ट्वीट में उन्होंने यह भी लिखा कि अपने सम्मान के न्यूनतम बिंदु पर जाकर मैंने उसे संतुष्ट करने का प्रयास किया। इसके बाद भी अगर नाराज हूं तो किस स्तर पर उसने हृदय को चोट दी होगी. हमने उसे चलना सिखाया और वह हमें रौंदता चला गया. एक बार फिर पुनर्गठन, आत्मविश्वास और सबके सहयोग की शक्ति से ईद की मुबारकबाद. ट्वीट में दिल पर चोट लगने की बात लिखकर शिवपाल ने अपने समर्थकों को बड़ा संदेश दे दिया है. उनके कहने का मतलब है कि जिसे चलना सिखाया, अगर उससे नाराजगी है तो समझना चाहिए कि दिल पर कितनी चोट लगी होगी. इसी प्रकार की भावनात्मक संदेश देकर शिवपाल यादव वर्ष 2017 में समाजवादी पार्टी से अलग हुए थे. तब उन्होंने अपनी अलग पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी बनाई थी. इस बार शिवपाल यादव पुनर्गठन की बात कर रहे हैं. इसका सीधा सा अर्थ है कि वे एक बार फिर अपने संगठन को खड़ा करने का प्रयास करेंग, या फिर अपने लिए एक अलग राजनीतिक लाइन का निर्धारण करेंगे. उनकी इस मुहिम में आजम खान का भी साथ मिलेगा, शिवपाल को यह विश्वास है. जिसके भरोसे ही ईद के दिन आजम और शिवपाल ने अखिलेश यादव पर हमला बोला है. अब जल्दी ही सपा के ये दोनों संस्थापक सदस्य अपनी नई योजना का खुलासा करेंगे. फ़िलहाल तो विधानसभा चुनावों के बाद आयी पहली ईद तो अखिलेश यादव के लिए कड़वाहट भरी साबित हुई है.