बाबरी मस्जिद विध्वंस के 30 साल पूरे, जानिए कब और कैसे हुआ ये सब

30 Years of Babri Masjid Demolition: 6 दिसम्बर, 1992 यानी वो तारीख जो इतिहास जिसको शायद ही कोई कभी भूल पाएगा। इससे एक दिन पहले यानि 5 दिसम्बर को विश्व हिन्दू परिषद के कार्यकर्ता, भाजपा के कुछ नेता और इससे जुड़े संगठनों ने अयोध्या में एक रैली करने गए थे। बाबरी मस्जिद के जिस विवादित हिस्से में सुप्रीम कोर्ट ने सिर्फ भजन-कीर्तन की अनुमति दी थी। वहाँ पर करीब डेढ़ लाख कार सेवक पहुँच गए। 6 दिसम्बर को भीड़ इतनी उग्र हो गई कि सिर्फ 5 घंटे में ही बाबरी मस्जिद का ढ़ाचा ध्वस्त कर दिया। 6 दिसंबर को शाम 5 बजकर 5 मिनट तक बाबरी मस्जिद जमींदोज हो गई थी।
राष्ट्रपति शासन लागू-
इस घटना के बाद पूरे प्रदेश समेत देश में सांप्रदायिक तनाव बढ़ गया। हर जगह हिंसा से जुड़ी खबरे आनी लगी। हजारो तदाद में लोगो ने अपनी जान गवा दी। जिसके बाद पूरे उत्तर प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया हैं। एक साल बाद 1993 में केंद्र ने अध्यादेश जारी कर विवादित जमीन को अपने नियंत्रण में ले लिया था। घटना के जाँच क आदेश दिया गया था। कुल 68 लोगो को अभियुक्त बनाया गया था।
बाबरी मस्जिद एफआईआर-
दस दिन बाद इसे ढहाने और इसके पीछे कथित षडयंत्र की जांच करने के लिए जस्टिस एमएस लिब्राहन की अध्यक्षता में आयोग का गठन किया गया था। इस मामले में दो एफआईआर दर्ज हुईं थे। जिसमें पहले FIR में उन कारसेवकों के नाम दर्ज की गईं जिन पर डकैती, चोट पहुंचाने, लूटपाट करने, सार्वजनिक इबादत के स्थान को नुकसान पहुंचाने और धर्म के नाम पर दो समुदाय में दुश्मनी बढ़ाने के आरोप लगाए गए थे।
दूसरी FIR में भाजपा, बजरंग दल, विश्व हिन्दू परिषद और आरएसएस से जुड़े 8 लोगों के नाम शामिल थे। जिन्होंने रामकथा पार्क में कथित भड़काऊ भाषण दिया था। इसमें भाजपा के दिग्गज नेता नेता लालकृष्ण आडवाणी, वीएचपी के तत्कालीन महासचिव अशोक सिंघल, बजरंग दल के नेता विनय कटियार, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, साध्वी ऋतंभरा, विष्णु हरि डालमिया और गिरिराज किशोर का नाम शामिल था।
कितने महीने में आई बाबरी मस्जिद की रिपोर्ट-
लिब्राहन आयोग की रिपोर्ट 3 महीने में आनी थी, लेकिन धीरे-धीरे इसकी अवधि बढ़ती गई। इसे आने में 17 साल का समय लग गया था। इस दौरान समय की मियाद 48 बार बढ़ाई गई थी। आयोग ने अपनी रिपोर्ट 30 जून, 2009 को गृह मंत्रालय को सौंपी थी। इस दौरान कुल 8 करोड़ रूपए खर्च किए गए थे। जिसके बाद आयोग की जांच रिपोर्ट में कहा गया कि मस्जिद को एक साजिश के तहत गिराया गया था। आयोग ने इस साजिश में शामिल लोगों पर मुकदमा चलाने की सिफारिश किया। बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में 47 अन्य मुक़दमे भी दर्ज कराए थे।
8 अक्टूबर 1993 को उत्तर प्रदेश सरकार ने इससे जुड़े सभी मामलों की सुनवाई लखनऊ की स्पेशल कोर्ट में करने की अधिसूचना जारी किया। जहाँ 1996 में विशेष अदालत ने इसके सभी मामलों में आपराधिक साजिश की धारा जोड़ने की बात कही। लम्ब समय तक ये मामला चलता रहा। हाईकोर्ट द्वारा सीबीआई जांच की बात कही गई।
2017 में सुप्रीम कोर्ट ने किया हाईकोर्ट के फैसले को रद्द-
साल 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला रद करते हुए फिर से साजिश के आरोप लगा दिए गए। दोनों ही मामलों को एक साथ सुनवाई के अनुमति के आदेश दिए गए। सुप्रीम कोर्ट ने लाल कृष्ण आडवाणी और 20 अन्य लोगों सहित कई अभियुक्तों के ख़िलाफ़ साज़िश का आरोप लागने का आदेश जारी किया। इस तरह बाबरी विध्वंस मामले में कुल 49 लोगों को अभियुक्त बनाया गया था। जिसमें से 17 लोगो की मृत्यु हो गई हैं। लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, उमा भारती, विनय कटियार, साघ्वी ऋतंभरा, महंत नृत्य गोपाल दास समेत दर्जन भर से अधिक लोगों को इस मामले में बरी कर दिया गया हैं। 30 अगस्त 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मस्जिद के मामले को बंद कर दिया।