Writer- : Rajneesh K Saxena

घनघोर गर्मी के कारण बिजली की मांग बढ़ने से उत्तर प्रदेश में बिजली की स्पलाई कम हो गई है. गांवों में पूरी बिजली नहीं मिल पा रही, जबकि शहरों में अघोषित कटौती से हालात दिन प्रति दिन बत्तर होते जा रहे हैं. प्रदेश में 3615 मेगावाट क्षमता की इकाइयों के बंद होने से बिजली की स्पलाई घट गई है. दूसरी तरफ केंद्रीय सेक्टर के तमाम बिजली प्लांट के बंद होने से उत्तर प्रदेश को कम बिजली मिल रही है.

ऊर्जा मंत्री का बयान-

प्रदेश में फिलहाल बिजली स्पलाई की स्थिति में सुधार नजर नहीं आ रहा है. उत्तर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री अरविंद शर्मा की माने तो कुप्रबंधन की वजह से प्रदेश में बिजली व्यवस्था चरमराई गई है. उनका कहना है कि एक तरफ उत्पादन इकाइयां साथ नहीं दे रही. ग्रामीण इलाकों में रोस्टर के हिसाब से बिजली नहीं मिल रही है और शहरी इलाकों में ओवरलोड सिस्टम बाधक बन हुआ है.

गांवों में बिजली कटौती-

उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन की माने तो बीतें दिनों गांवों में औसतन 8:53 घंटे, मुख्यालयों पर 7:04 घंटे, नगर पंचायतों में 8:43 घंटे कटौती की गई. इसके आलावा जिला व मंडल मुख्यालयों, महानगरों और उद्योगों को 24 घंटे आपूर्ति का दावा किया गया है लेकिन राजधानी समेत पूरे प्रदेश में जमीनी स्तर पर हाल कुछ और ही है.

कोयले की किल्लत-

एक रिपोर्ट के अनुसार देश के लगें बिजली प्लांटों में कुल चार-पांच दिन का कोयला बचा है. कोयला की कमी से तापीय इकाइयां पूरी क्षमता से नहीं चल पा रही. प्रदेश के बिजली घरो के लिए रोजाना 87900 मीट्रिक टन कोयले की जरूरत है. लेकिन आपर्ति 61000 मीट्रिक टन ही हो पा रही है.

कोयले की आपूर्ति के लिए 8 ट्रेनें निरस्त-

कोयले की आपूर्ति के लिए प्रदेश के मुरादाबाद मंडल की 8 यात्री ट्रेनों को निरस्त कर दिया गया है, ताकि कोयला लाने वाली मालगाड़ियों को निकाला जा सके. मुरादाबाद मंडल के वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक (सीनियर डीसीएम) सुधीर सिंह ने बताया कि बिजली की खपत अत्यधिक बढ़ गई है.

साथ ही बिजली घरों में भी कोयले की कमी हो रही है. बिजली घरों तक कोयले की आपूर्ति करने के लिए रेल प्रशासन की ओर से हर संम्भव प्रयास किया जा रहा है. सुगम व तीव्र गति से कोयला ले जाने वाली मालगाड़ियों को निकाला जा रहा है. जिसके कारण 8 यात्री ट्रेनों को अग्रिम आदेश तक रद्द कर दिया गया है.

बिजली के दामों में बढोत्तरी-

देश व प्रदेश में बिजली संकट के बीच फिर एक बार मुनाफाखोरी का खेल शुरू हो गया है. केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय और केंद्रीय विघुत नियामक आयोग के आदेश को न मानते हुए पावर एक्सचेंज में 13 से 17 रुपये प्रति यूनिट में बिजली बेच रहा है.