Mulayam Singh Yadav के वो फैसले जिसने राजनीति जगत में भूचाल ला दिया, जैसे सोनिया गाँधी को विदेशी कहने का मुद्दा
Mulayam Singh Yadav Death: मुलायम सिंह यादव की मृत्यु के बाद उत्तर प्रदेश में मुलायम युग का अंत हो चुका हैं। उनकी मृत्यु के बाद भी उनके द्वारा किए गए कार्यो की वजह से व जबतक सपा का आस्तिव रहेगा हमेशा समाजवादी के स्थापक के रूप में याद किए जाएगे। मुलायम सिंह यादव उत्तर प्रदेश के तीन बार मुख्यमंत्री व 8 बार विधायक तथा 7 बार सांसद व एक बार रक्षा मंत्री रह चुके हैं।
मुलायम सिंह यादव द्वारा लिए गए वो फैसले जिसकी वजह से वो हमेशा याद रहेगे-
समाजवादी पार्टी के संस्थापक-
मुलायम सिंह यादव को उत्तर प्रदेश की राजनीति में इसलिए भी हमेशा याद किया जाएगा क्योकि उन्होने साल 1992 में बाबरी मस्जिद गिरनेके बाद मुलायम सिंह ने जनता दल (समाजवादी) से अलग होकर समाजवादी पार्टी के रूप में अपनी अलग पार्टी का निर्माण किया था। जिसे आज हम सब सपा के नाम से जानते हैं और इस समय इसकी कमान अखिलेश यादव जोकि मुलायम सिंह यादव की पहली पत्नी के पुत्र हैं। उनके पास हैं। पिछड़ी जातियों औरअल्पसंख्यकों के बीच मुलायम सिंह यादब बहुत ज्यादा लोकप्रिय रहे हैं।
चंद्रशेखर को प्रधानमंत्री बनाकर अपनी सरकार गिर दी-
ऐसा कहा जाता हैं कि चंद्रशेखर को देश का प्रधानमंत्री बनाने में मुलायम सिंह यादव की अहम भूमिका थी। क्योकि मुलायम सिंह यादव 1989 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे तब 425 सीटों वाली यूपी की विधानसभा में जनता दल को सबसे ज्यादा 208 सीटें हासिल की थी। लेकिन उनके मन में संदेह था कि वीपी सिंह उन्हें मुख्यमंत्री के पद से हटाकर अजीत सिंह को मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं। जिसकी वजह से उन्होने चन्द्रशेखर को समर्थन दे दिया। तब चन्द्रशेखर की सरकार को बाहर से कांग्रेस का समर्थन हासिल था। चार महीने बाद कांग्रेस ने चंद्रशेखर सरकारसे समर्थन वापस लिया तो मुलायम सिंह की सरकार भी गिर गयी।
अयोध्या में कारसेवको पर गोली चलवाना-
मुलायम सिंह यादव के जीवन का सबसे ज्यादा विवादित फैसला 1990 मेंकारसेवकों पर दो बार गोली चलाना था। पहली बार 30 अक्टूबर, 1990 कोकारसेवकों पर गोलियां चली थी। जिसमें 5 लोगों की मौत हुई थी। तो वहीं दूसरी बार 2 नवंबर को उस वक्त गोली चली जब हजारों कारसेवक बाबरी मस्जिद केबिल्कुल करीब हनुमान गढ़ी के पास पहुंच गए थे। जिसमें दर्जनो की तदाद में लोगो की मृत्यु हो गयी। कुछ साल बाद मुलायम सिंह यादव ने बताया कि मैने ये कार्य देश की एकता को बनाए रखने के लिए किया था। लेकिन मुझे इसका अफसोस हैं मेरे पास इसके अलावा कोई चारा नहीं था।
सोनिया गाँधी को पीएम बनाने में समर्थन देने से इंकार-
अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वालीएनडीए की पहली सरकार एक वोट से गिर से गिर गयी थी। उस समय सोनिया गाँधी की सरकार व जयललिता की सरकार ने मिलकर अहम भूमिका निभाई थी। तब देश का प्रधानमंत्री बनाए जाने के लिए सोनिया गाँधी का नाम सामने आया । लेकिन 1999 में मुलायम सिंह यादव ने उनके विदेशी होने का मुद्दा उठाया था। शरद पवार ने भी उनका साथ दिया था।