Mulayam Singh Yadav Death News : यूपी में ेएक नए राजनीति के इतिहास का आरम्भ करने वाले माननीय मुलायम सिंह यादव जी की आज 82 साल की उम्र में गुरग्राम के मेदांता अस्पताल में सुबह 8 बजकर 16 मिनट पर मृत्यु हो गयी। मुलायम सिंह यादव के बारे में कहा जाता हैं कि उन्होने यूपी की राजनीति में एक अहम बदलाव किया था। वो यूपी के राजनीति के बादशाह कहे जाते थे।

मुलायम सिंह यादव बॉयोग्राफी-

मुलायम सिंह यादव का जन्म जन्म 22 नवंबर 1939 को हुआ था। उनके पाँच भाई हैं ,जिसमें मुलायम सिंह यादव तीसरे नंबर हैं। ऐसा कहा जाता हैं कि शुरूआत में उन्होने पहलवानी में अपना हाथ आजमाया क्योकि उनके पिता चाहते थे कि मुलायम सिंह यादव पहलावन बने लेकिन ऐसा नहीं हुआ मुलायम एक अध्यापक बने इसके बाद उन्होने अपने राजनीतिक गुरु राजनीति में ही मुलायम सिंह यादव राम मनोहर लोहिया, नत्थू सिंह और कमांडर अर्जुन सिंह भदौरिया जैसे बड़े नेताओं को प्रभावित करने के बाद मुलायम सिंह यादव ने जसवंतनगर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा।

मुलायम सिंह यादव का राजनीति करियर-

मुलायम सिंह यादव 1967 में मुलायम सिंह पहली बार विधायक बने थे। इसके बाद 5 दिसंबर 1989 को पहली बार प्रदेश के मुख्यमंत्री राजनीति के अखाड़े में अपना दाव खेला व चार अक्टूबर 1992 में समाजवादी पार्टी की स्थापना थी। जिसके बाद उन्होने यूपी की 3 बार कमान संभाली यानि 3 बार वो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। तथा आठ बार वो विधायक मंत्री रह चुके हैं। इसके अलावा वो देश के रक्षामंत्री भी रह चुके हैं।

वह सोशलिस्ट पार्टी, प्रजा सोशलिस्ट पार्टी से आगे बढ़े थे। 1967, 1974, 1977, 1985, 1989 में वह विधानसभा के सदस्य रह चुके हैं। तथा 1989, 1993 और 2003 में यूपी के सीएम भी रह चुके हैं। वो एक बार लोकसभा के भी सदस्य रह चुके हैं। 1996 के चुनाव में वो पहली बार सांसद बने। 1999 के चुनाव में भी उनकी जीत का सिलसिला लगातार जारी रहा हैं। और 2004 में वह मैनपुरी से लोकसभा चुनाव जीते थे। उसके बाद 2014 में वह आजमगढ़ संसदीय सीट और मैनपुरी से चुनाव लड़े और दोनों जगह से ही जीत हासिल की थी। 2019 में वो एक बार फिर से उन्होने मैनपुरी के चुनाव में जीत हासिल की थी।

कालेज के समय से ही दोस्त एमएलए बोलते थे-

जब मुलायम सिंह यादव कॉलेज में पढ़ाई कर रहे थे, उसी समय से उनके साथी उन्हें एमएलए बुलाते थे। मुलायम सिंह यादव सिंचाई कीमत में बढ़ोतरी के विरोध में धरने पर बैठे गए थे। अपने इसी स्वभाव के कारण उनके दोस्त, छात्र और जानकार उन्हें एमएलए साहब कहकर बुलाने लगे थे। इस बात की जिक्र देशबंधु वशिष्ठ ने मुलायम सिंह यादव पर लिखी किताब 'मुलायम सिंह यादव और समाजवाद' में किया हैं।