UP News: उत्तर प्रदेश सरकार ने वायु प्रदूषण की गंभीरता को देखते हुए एक सख्त कदम उठाया हैं। आपको बता दे कि उत्तर प्रदेश सरकार खेतों में किसानों द्वारा पराली (फसलों के अवशेष) जलाने की घटनाओं पर लगाम लगाने में विफल होने के कारण अनधिकृत कृषि उपकरणों को जब्त करने के साथ ही आरोपियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के सख्त कदम उठाने का निश्चय लिया गया हैं। है. पराली जलाने के नुकसान को उजागर करने वालों के बारे में जागरूकता अभियान चलाए गए थे। लेकिन उसका कोई परिणाम नजर नहीं आया था। जिसके बाद से योगी सरकार ने अब ये कदम उठाने का फैसला लिया हैं। हर साल अक्टूबर-नवंबर के महीने में वायु गुणवत्ता खराब हो जाती हैं। तथा वैज्ञानिको का कहना हैं कि आने वाले दिनो में और भी खराब हो जाएगी।

नासा (नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन) के फायर इंफॉर्मेशन फॉर रिसोर्स मैनेजमेंट सिस्टम (एफआईआरएमएस) के आंकड़ों के अनुसार (जिसका उपयोग उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) द्वारा भी किया जाता था। यूपी के 18 जिलो में आग लगाने की खबरे अलग-अलग जगह से मिली हैं। जिसमें अलीगढ़. बाराबंकी, फतेहपुर, कानपुर नगर, मथुरा, हरदोई, संभल, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, मेरठ, सहारनपुर, रामपुर, लखीमपुर खीरी, पीलीभीत, शाहजहांपुर, बुलंदशहर, शामली और बरेली जिले शामिल हैं।

सरकार जहां किसानों से पराली के निपटान के लिए वैकल्पिक उपाय अपनाने का आग्रह कर रही है। तो वहीं उत्पादकों का दावा है कि सुझाए गए उपाय 'अव्यवहारिक हैं। उत्तर प्रदेश में खेतों में कृषि अवशेष या कचरा जलाते हुए पकड़े जाने पर दो एकड़ से कम के खेतों के लिए 2500 रुपये तो दो-पांच एकड़ के लिए 5,000 रुपये और पांच एकड़ से अधिक के खेतों के लिए 15,000 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। इसके अलावा इन कानूनी दंडात्मक कार्रवाइयों में पराली जलाने के बार-बार के आरोपियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराना भी शामिल हैं।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश का बुलंदशहर जिला राज्य के सबसे खराब वायु गुणवत्ता वाले जिलों में से एक है. जिला प्रशासन ने पराली जलाने से होने वाले नुकसान के बारे में किसानों को शिक्षित करने के लिए दो दर्जन से अधिक जागरूकता शिविरों का आयोजन किया हैं।