*थारू जनजाति बाहुल्य श्रावस्‍ती के गांव में योगी सरकार की देखरेख में हर घर जल योजना से लगे विकास को पंख*

*नमामि गंगे और ग्रामीण जलापूर्ति विभाग की हर घर जल योजना से बदल रही थारू गांव की तस्‍वीर*

*योगी सरकार के प्रयास से महिलाएं व बेटियां एफटीके प्रशिक्षण कार्यक्रम से जुड़कर लिख रहीं आत्‍मनिर्भरता की नई इबारत*

*पेयजल गुणवत्ता की जांच से जल जनित बीमारियों की संक्रमण दर में दर्ज की जा रही तेजी से गिरावट*

*पेयजल में आर्सेनिक, फ्लोराइड और आयरन की अधिकता से बीमारियों से जूझ रहा था थारू गांव*

*जल जीवन मिशन से थारू जनजाति का जीवन हुआ सुगम*

*लखनऊ -श्रावस्‍ती, 03 अप्रैल।*भारत के आखिरी गांव की उम्‍मीदों को योगी सरकार की देखरेख में जल जीवन मिशन सींच रहा है। उत्तर प्रदेश के श्रावस्‍ती जिले के नेपाल की सीमा से लगे बनकटी गांव की तस्‍वीर को जल जीवन मिशन ने बदल दिया है। बरसों-बरस से अपने अधिकारों से वंचित थारू जनजाति को विकास की मुख्‍यधारा से जोड़ते हुए जल जीवन मिशन उनकी जिंदगी को संवारने का काम कर रहा है। योगी सरकार के प्रयास से नमामि गंगे और ग्रामीण जलापूर्ति विभाग की हर घर जल योजना से थारू जनजाति की किस्‍मत बदल रही है। जल जीवन मिशन के तहत हर घर जल योजना से एक ओर समुदाय के लोगों को स्‍वच्‍छ जल की आपूर्ति सुनिश्चित हो रही है तो वहीं दूसरी ओर फील्ड टेस्ट किट (एफटीके) प्रशिक्षण से बेटियां व महिलाएं आत्‍मनिर्भर बन रहीं हैं। श्रावस्‍ती की ग्राम पंचायत भचकोही के बनकटी गांव में 765 थारू जनजाति निवास करती है, जहां कुल 116 हाउसहोल्‍ड हैं।


*आत्‍मनिर्भरता की लिखी जा रही नई इबारत*

गांव की थारू महिलाएं व बेटियां एफटीके प्रशिक्षण कार्यक्रम से जुड़कर आत्‍मनिर्भरता की नई इबारत लिख रहीं हैं। योगी सरकार के प्रयास से थारू महिलाएं जल जीवन मिशन के जरिए दूसरों को भी जागरूक कर रही हैं। साल 2017 में जहां थारू जनजाति की महिलाएं और बेटियां घर की चौखट तक सीमित थीं, वहीं मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ के प्रयास से जल जीवन मिशन ने थारू जनजाति की महिलाओं की जिंदगी में आशा की किरण बिखेरी। अब जल जीवन मिशन से थारू महिलाएं और किशोरियां हर 10 दिन में क्षेत्र में पानी की जांच कर रही हैं। आर्सेनिक, फ्लोराइड और आयरन की अधिक मात्रा से जूझ रहे श्रावस्‍ती में महिलाओं को दिए गए एफटीके प्रशिक्षण द्वारा जल की गुणवत्‍ता की जांच होने से दूषित जल की समस्‍या का निदान हुआ है। जल स्त्रोतों पर पहुंचकर जल गुणवत्ता के 12 मानकों की जांच महिलाएं कर रही हैं। मिशन के तहत महिलाएं जागरूकता कार्यकमों के माध्‍यम से समुदाय के लोगों को जागरूक व प्रेरित कर रही हैं। थारू जनजाति की बेटियां सकारात्‍मक बदलाव की बयार लाने संग लोगों में स्‍वच्‍छ जल की अलख भी जगा रही हैं। मोनिका राना, निरमा, सुमलाना और शंकिता के साथ मिलकर अन्‍य थारू महिलाएं भी इस प्रशिक्षण कार्यक्रम से जुड़कर आत्‍मनिर्भर यूपी की नई इबारत लिख रहीं हैं।

*जलजनित बीमारियों से मिली निजात*
जल जीवन मिशन योगी सरकार के प्रयत्न से भारत के आखिरी गांव तक विकास की मशाल को जलाने का कार्य कर रहा है। दूषित पानी, जलजनित बीमारियों और जल संकट से ग्रस्‍त श्रावस्‍ती के बनकटी गांव की स्थिति अब तेजी से बेहतर हो रही है। जल जीवन मिशन के तहत इस जनजाति तक स्‍वच्‍छ पेयजल पहुंचाने का कार्य युद्धस्‍तर पर किया जा रहा है। दूषित पानी पीने से पहले जनजाति संक्रमण का शिकार हो जाती थी पर मिशन के तहत अब फील्‍ड टेस्‍ट कीट के जरिए जल की गुणवत्ता जांच शुरू होने से संक्रमण की दर कम हुई है।
*आवास, शौचालय व स्वच्छता का रखा गया पूरा ध्यान*
छह वर्ष में योगी आदित्यनाथ का पूरा ध्यान जरूरतमंदों को आवास दिलाने पर रहा। साथ ही शौचालय व स्वच्छता पर भी पूरा ध्यान दिया गया। प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के अंतर्गत 17.62 लाख आवासों का निर्माण कराया गया। प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना में रेहड़ी-पटरी लगाने वाले 10,33,132 स्ट्रीट वेंडर्स को 1190 करोड़ रुपये का ऋण उपलब्ध कराया गया। छह वर्ष में यूपी खुले में शौच से मुक्त हो चुका है। स्वच्छ भारत मिशन (नगरीय) के अंतर्गत अब तक दो करोड़ से अधिक शौचालय का निर्माण किया जा चुका है। इससे 10 करोड़ से अधिक शहरीजन लाभान्वित हुए हैं। नगरीय क्षेत्र में अब तक 8,99,634 व्यक्तिगत व 69,381 सामुदायिक-सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण हो चुका है। वहीं शहरों को स्वच्छ रखने के लिए छह वर्षों में 1327 टन प्लास्टिक जब्त कर 16.47 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया।


*वीटीएस से मिली पीएमजीएसवाई में एफडीआर टेक्नोलॉजी को रफ्तार*

*सीएम योगी ने ग्रामीण सड़कों की गुणवत्ता बनाए रखने और उसकी पारदर्शिता को बढ़ाने के लिए वीटीएस के इस्तेमाल पर दिया था जोर*

*वीटीएस से गांवों की सड़क बनाने का काम तय समय में हो रहा पूरा*

*सेंट्रल कमांड सेंटर से की जा रही पल पल की निगरानी*

*3 अप्रैल, लखनऊ:* योगी सरकार की ओर से व्हीकल ट्रैकिंग सिस्टम (वीटीएस) के जरिए प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना की गुणवत्ता, समयबद्धता और कार्य में पारदर्शिता की मॉनीटरिंग का असर दिखने लगा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ किसानों की आय कई गुना बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। ऐसे में उन्होंने पीएमजीएसवाई को रफ्तार देने के लिए जीपीएस लैस वीटीएस को अपनाने के लिए विभाग को निर्देश दिये थे ताकि गांवों की सड़कों की लाइफ लंबी हो और इसकी लागत काफी कम हो। मालूम हो कि विभाग पहले से ही इस पर काम कर रहा है। विभाग गांवों की सड़क बनाने में फुल डेप्थ रिक्लेमेशन (एफडीआर) तकनीक का इस्तेमाल कर रहा है। उत्तर प्रदेश इस तकनीक का इस्तेमाल करने वाला देश का पहला राज्य है। विभाग की यह तकनीक पूरे देश में मॉडल के रूप में उभरी है।

*अब तक 950 से अधिक उपकरण और मशीनरी में लगाए गए वीटीएस*


उप्र ग्रामीण सड़क विकास अभिकरण के निदेशक भानू चंद्र गोस्वामी ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर अब तक पीएमजीएसवाई के तहत गांव की सड़कों को बनाने में प्रयोग में लाई जा रहे करीब 950 से अधिक उपकरण और मशीनरी पर जीपीएस आधारित वीटीएस को लगाया जा चुका है। वहीं इसकी मॉनिटरिंग के लिए यूपीआरआरडीए में सेंट्रल कमांड सेंटर की स्थापना की गई है, जहां से पल-पल की जानकारी अपडेट होती है जैस किस साइट पर कौन सी मशीन से काम किया गया, कितने घंटे काम किया गया, किए गए काम की गुणवत्ता ठीक है या नहीं, निश्चित समय सीमा के तहत काम हो रहा है या नहीं आदि। यह डिवाइस पूरी तरह से मेड इन इंडिया है, जो एम्बेडेड सिम और आंतरिक एंटीना के साथ एमटी 6260 चिपसेट से लैस है। डिवाइस आईपी65 रेटिंग के साथ आती है और बैटरी ऑफलाइन मोड में 6 से 8 घंटे का बैकअप देती है। इस डिवाइस से वाहन, स्थानों को ट्रैक करने, एकत्र करने और नियंत्रित करने में काफी सफलता मिली है। यह डिवाइस एक वेब एप्लिकेशन पर आधारित है, जो वाहन के स्थान की डिटेल, जगह, निष्क्रिय समय, चौकियों आदि की पहचान करती है।

*किसानों को यह हो रहा फायदा*


- किसानों की आय बढ़ाने और रोजगार के अवसर पैदा करने में सारथी बन रही पीएमजीएसवाई
- खाद्य प्रसंस्करण केंद्रों, मंडी (कृषि बाजारों) और अन्य किसान संबंधित उद्यमों से आसान और तेज आवाजाही की सुविधा मिल रही
- कृषि उत्पादों के आयात निर्यात को मिल रहा बढ़ावा
- जल्द खराब होने वाले उत्पाद जैसे सब्जी और फलों को कम समय में मंडी में पहुंचाया जा रहा

*एफडीआर तकनीक में इन उपकरणों और मशीनों का होता है उपयोग*
मृदा कम्पेक्टर
बिटुमेन प्रेशर स्प्रेडर
चिप स्प्रेडर
पेवर
रिक्लेमर
सीमेंट स्प्रेडर
पैडफुट रोलर