UP News: उत्तर प्रदेश में बहुत-सी ऐसी चीजे हैं, जो आज भी स्वतंत्रता संग्राम की कहानियों को बया करती हैं। उनमें से एक हैं, यूपी के कानपुर में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दिनों के कई साक्ष्य अभी भी मौजूद हैं और बूढ़ा बरगद उनमें से एक था। यूपी के कानपुर का स्वतंत्रता संग्राम में बहुत-ही महत्वपूर्ण योगदान रहा हैं। कानपुर से 23 किमी दूर बिठूर किले में ही लक्ष्मी बाई, नाना साहिब और तांतिया टोपे ने 1857 के स्वतंत्रता संग्राम की नींव रखी थी। जिनकी कहानियाँ आज भी स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में मौजूद हैं। आपको बता दे कि बरगद का पेड़ अब मौजूद नहीं है, लेकिन जिस स्थान पर पेड़ मौजूद तो नहीं हैं। लेकिन स्वतंत्रता संग्राम से ताल्लुक रखने वाले लोगो के लिए ये एक खास स्थान हैं।

बूढ़ा बरगद का इतिहास-

यह पेड़ कानपुर शहर के नानाराव पार्क में स्थित था। यही वो बूढ़ा बरगद था जहां 144 स्वतंत्रता सेनानियों को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की महत्वपूर्ण अवधि के दौरान फांसी दी गयी थी। यह पेड़ कई स्वतंत्रता सेनानियों की शहादत का प्रमाण था जो ब्रिटिश शासन के संंमय जिन्हें कोई जानता तक नहीं था। अब इस जगह पर उन स्वतंत्रता सेनानियों की याद में पार्क बना दिया गया हैं। इसी पार्क में एकत्र हुए और स्वतंत्रता संग्राम में अपनी लड़ाई को आगे बढ़ाने के लिए अपनी रणनीति की योजना बनाई। यही कारण था कि ब्रिटिश सरकार ने भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों को मृत्युदंड देने के लिए बूढ़ा बरगद को चुना था। बूढ़ा बरगद में सार्वजनिक फांसी ने भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों में विश्वास जगाया और वे संघर्ष को एक नए मुकाम पर ले गया।

काफी लम्बे समय तक ये पेड़ इसी पार्क में मौजूद था। लेकिन धीरे-धीरे करके ये बूढ़ा बरगद का पेड़ खत्म होता चला गया। लेकिन उस समय तक पेड़ एक छोटे से स्टंप बन गया था। राज्य सरकार के अधिकारियों ने पुराने पेड़ की एक छोटी शाखा को बनाए रखा है और इस नई विकसित शाखा के चारों ओर बैरिकेड का निर्माण कराया हैं। । राज्य सरकार ने बूढ़ा बरगद को बचाने के संरक्षण प्रयासों में इंडियन नेशनल ट्रस्ट ऑफ आर्ट कल्चर एंड हेरिटेज (INTACH) को शामिल किया था।