Uttar Pradesh: उत्तर प्रदेश सरकार ने 'अनुकंपा के आधार' पर आधारित नौकरियों को लेकर नियम में बदलाव किया गया हैं। सरकारी सहायता प्राप्त सेकेंडरी स्कूल के टीचर्स और नॉन-टीचिंग स्टाफ के आश्रित बच्चों को अनुकंपा के आधार पर नौकरी पाने के काबिल होना चाहिए। अगर स्कूलों में काम करने वाले कर्मचारी की सर्विस के दौरान मौत हो जाती है, तो उसके पोते-पोतियों में से किसी एक को उस स्कूल में नौकरी दी जाएगी। बता दे कि वर्तमान में UP में सरकारी सहायता प्राप्त सेकेंडरी स्कूल की संख्या 4,512 हैं।

अनुकंपा के आधार पर नौकरी के लिए मृतक कर्मचारी की विधवा/विधुर, बेटे, अविवाहित अथवा विधवा बेटी को ही आश्रित परिवार का सदस्य माना जाता हैं। पहले कर्मचारी की मौत के बाद इनमें से किसी को नौकरी दी जाती थी। लेकिन अब यूपी सरकार ने इस नियम में बदलाव कर दिया है। अब नए नियम के तहत परिवार की एक और पीढ़ी को नौकरी पाने के लिए एलिजिबिल कर दिया गया है।

क्या हैं नया नियम-

नए नियम के अनुसार कर्मचारी की मौत के बाद इनमें से किसी को भी नौकरी मिल जाती थी। लेकिन अब यूपी सरकार ने इस नियम में बदलाव कर दिया है।इस नियम के तहत परिवार की एक और पीढ़ी को नौकरी पाने के लिए एलिजिबिल कर दिया गया है। यदि आश्रित के पास कंप्यूटर कॉन्सेप्ट्स (सीसीसी) क्वालिफिकेशन नहीं है, तो उसे नौकरी मिलने के एक साल के भीतर इस कोर्स को हासिल करने का मौका दिया जाएगा।

बता दे कि पहले किसी पद के नहीं होने पर सुपरन्युमररी पोस्ट को क्रिएट करके वहां अनुकंपा नियुक्ति की जाती थी। लेकिन इस पद पर अनुकंपा वाले उम्मीदवार को नियुक्त नहीं किया जाता था। लेकिन अब इंटरमीडिएट अधिनियम 1921 में हाल ही में किए गए संशोधनों के बाद, उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य द्वारा संचालित स्कूलों में सुपरन्युमररी पोस्ट को क्रिएट करने के नियम को अब खत्म कर दिया गया हैं।

अब नए सिस्टम में आश्रित को उसी स्कूल में नियुक्त किया जाएगा, जहां मृतक कार्यरत था। यदि संबंधित स्कूल में कोई पद खाली नहीं है तो आश्रितों को जिला अथवा संभाग स्तरीय कार्यालय में नौकरी दी जाएगी। यदि वहाँ पर भी कोई पद खाली नहीं तो संभाग के बाहर किसी अन्य जिले में नियुक्त करने पर विचार-विमर्स किया जाएगा।