UP News: उत्तर प्रदेश सरकार (UP Government) ने वक्फ बोर्ड की 33 साल पहले ही शासनादेश को रद्द कर दिया हैं। और यूपी में अब मदरसो के बाद वक्फ बोर्ड की सम्पत्तियों के जाँच के आदेश जारी कर दिए हैं। वैसे तो विपक्ष द्वारा पहले ही योगी सरकार पर मदरसो की जाँच के खिलाफ हमले बोले जा रहे हैं। ऐसे में अब ये फैसला यूपी की राजनीति में एक नया मोड़ लेकर आएगी। आपको बता दे कि प्रदेश की योगी सरकार ने 7 अप्रैल 1989 को इस बाबत जारी एक विवादित शासनादेश को निरस्त कर दिया हैं। इसके साथ ही 7 अप्रैल 1989 के बाद वक्फ सम्पत्ति के रूप में दर्ज सभी मामलों का पुर्नपरीक्षण भी करवाऐ जाने का आदेश जारी किया हैं।

पहले वक्फ अधिनियम 1995 के पूर्व 1960 की व्यवस्था प्रचलित थी इसको उत्तर प्रदेश मुस्लिम वक्फ अधिनियम-1960 के रूप में लागू किया था। इस अधिनियम की धारा-3 (11) में वक्फ की परिभाषा देते हुए बताया गया है कि 'किसी सम्पत्ति का किसी ऐसे प्रयोजन के लिए स्थाई समर्पण या अनुदान से है जो मुस्लिम विधि या प्रथा के अनुसार धार्मिक, धर्मशील या पूर्व के रूप में स्वीकृत हो और इसके तहत वक्फ अलल-औलाद तथा अलल खैर यानि अल्लाह के लिए दान से है।

अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने इस पुराने शासनादेश पर आपत्ति दर्ज करते हुए शासन को इसको निरस्त करने का एक प्रतिवेदन भेजा था। जिसे योगी सरकार ने स्वीकार करते हुए एक नया शासनादेश जारी कर दिया हैं।

क्या हैं नया शासनादेश-

योगी सरकार द्वारा जारी किए गए इस नये शासनादेश के अनुसार 1989 के शासनादेश के तहत सामान्य सम्पत्ति (बंजर, ऊसर, भीटा आदि) को वक्फ सम्पत्ति के रूप में राजस्व रिकार्ड में दर्ज कर लिये जाने की शिकायतों के मद्देनजर पुर्न परीक्षण किया जाएगा। यूपी के उप सचिव शकील अहमद सिद्दीकी की ओर से जारी इस शासनादेश में कहा गया है कि शासन के संज्ञान में यह तथ्य आया है कि राजस्व विभाग के 7 अप्रैल 1989 के एक शासनादेश के आधार पर प्रदेश में सामान्य भूमि जैसे-बजंर, ऊसर, भीटा आदि को भी वक्फ सम्पत्ति के रूप में दर्ज करके राजस्व रिकार्ड में दर्ज करवाने की अनियमितताएं हो रही हैं।