Akhilesh Azam Controversy: उत्तर प्रदेश की सियासत में समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता आजम खान अचानक ही अहम किरदार बन गए हैं. सपा मुखिया अखिलेश यादव द्वारा आजम खान की अनदेखी करने को लेकर अचानक ही कई राजनीतिक दल उनको अपने पाले में लाने में जुट गए हैं. वही सपा मुखिया अखिलेश यादव आजम खान के मसले पर चुप्पी साधे हुए हैं. उनकी यह खामोशी मुस्लिम समाज में उन्हें विलेन और आजम खान को हीरो बना रही है। अब तो कई उलेमाओं ने भी आजम मामले में अखिलेश यादव की चुप्पी पर उन्हें मुस्लिम विरोधी करार दिया है.

अखिलेश यादव को मुस्लिम विरोधी कहने वाले मौलाना असद कासमी हैं, जो मदरसा जामिया शेखुल हिंद के मोहतमिम हैं. गत मंगलवार को मौलाना मुफ्ती असद कासमी ने कहा कि आजम खां पिछले ढाई साल से जेल में बंद हैं. जब एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने आजम खां से जेल में मिलने की बात कही तो अखिलेश यादव भी हरकत में आए और अखिलेश यादव ने कहा कि हम भी आजम खान से मिलने जाएंगे, लेकिन वह फिर से जाकर सो गए. असद कासमी कहते हैं कि प्रसपा के अध्यक्ष व अखिलेश के चाचा शिवपाल यादव, कांग्रेसी नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम जेल में जाकर आजम से मिले लेकिन अखिलेश यादव को अभी तक आजम खान से मिलने की फुर्सत नहीं मिली है. बीते ढाई वर्षों से सपा में आजम खां के प्रति दिखाई जा रही बेरुखी से साफ है कि अखिलेश यादव मुस्लिम लीडरों की अनदेखी कर रहे हैं और वह मुस्लिम विरोधी हैं.

सपा के विकल्प के बाबत सोचना कौम की माजबूरी

मौलाना असद कासमी का कहना है कि इसका नतीजा ये होगा कि मुस्लिम समाज दूसरा विकल्प तैयार करे.असद कासमी यह भी कहते हैं कि आजम खां सपा को अलविदा कहकर प्रसपा, कांग्रेस या फिर किसी और दल के साथ चले जाएं.

कुछ ऐसी ही बात सपा सांसद शफीकुर्रहमान बर्क ने अपने तरीके से कही थी. बर्क ने यह कहा था कि सपा मुस्लिमों की आवाज नहीं उठा रही है. आजम खान के मीडिया प्रभारी फसाहत अली शानू ने भी एक कार्यक्रम में यह कहा है कि पिछले ढाई साल में अखिलेश यादव ने आजम खान को जेल से छुड़ाने के लिए किसी तरह का कोई प्रयास नहीं किया. इसी के बाद से मुस्लिम समाज में आजम खान के साथ दिखाई जा रही बेरुखी को लेकर चर्चाएं होने लगी. ऐसी चर्चाओं

में तब तेजी आई जब पार्टी के मुस्लिम नेताओं ने इस मामले में पार्टी से इस्तीफ़ा देना शुरू किया.इसके बाद भी अखिलेश यादव ने आजम खान को लेकर अपनी चुप्पी नहीं तोड़ी तो मौलाना मुफ्ती असद कासमी ने सीधे अखिलेश यादव को निशाने पर ले लिए. अब कहा जा रहा है कि राज्य के हर जिले में अखिलेश यादव के रुख से खफा मौलाना अखिलेश यादव को मुस्लिम विरोधी साबित करने में जुटे ताकि अखिलेश यादव आजम खान और मुस्लिम समाज को लेकर अपने रुख को स्पष्ट करें.

वही दूसरी तरफ शिवपाल सिंह यादव, ओवैसी, जयंत चौधरी और कांग्रेस भी आजम खान को अपने पाले में पाने के प्रयास में है. ओवैसी की पार्टी उनके सहारे यूपी में अपने पैर जमाने और खाता खोलने की उम्मीद कर रही है. तो बहराइच के कैसरगंज से भारतीय जनता पार्टी के सांसद बृज भूषण शरण सिंह भी आजम खां से मिलने सीतापुर जेल जाने का कार्यक्रम बना रहे हैं. उनका मानना है कि उत्तर प्रदेश तथा देश की राजनीति में आजम खां बड़ा चेहरा हैं. उनका स्वास्थ्य भी ठीक नहीं है। इसी कारण उनसे भेंट करने की इच्छा भी है. लेकिन सपा मुखिया अखिलेश यादव की तरफ से आजम खान से मिलने की कोई पहल नहीं की जा रही है, जबकि अखिलेश यादव द्वारा आजम खान के प्रति दिखाई जा रही बेरुखी के चलते मुस्लिम समाज में वह विलेन बनते जा रहे हैं.