Lift Act: देश में सबसे पहले लिफ्ट एक्ट बॉम्बे में लागू हुआ था, वहां बहुमंजिला इमारतों को देखते हुए 1939 में ही इस कानून को लागू किया गया था. लेकिन उत्तर प्रदेश में अभी तक इस पर फैसला नहीं लिया गया है.

यूपी में नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गाज़ियाबाद, लखनऊ, वाराणसी जैसे बड़े शहरों में अपार्टमेंट का पूरा जंजाल फैला हुआ है. बहुमंजिली इमारतों में लगी लिफ्ट का कभी भी, कहीं भी चलते-चलते रुक जाना आम है. जिसकी वजह से हादसे भी हो रहे हैं. जिसमे लोग घायल हो रहे हैं और मौतें हो रही हैं लेकिन सरकारी सिस्टम इसपर मौन है.

लेकिन अब यूपी सरकार अगले विधान सभा सत्र में बिल लेकर आने वाले हैं.नोएडा प्रशासन ने कुछ साल पहले लिफ्ट के लिए नियम-कानून बनाने की सिफारिश राज्य सरकार से की थी.

आरडब्ल्यूए आए दिन इस मामले पर धरना-प्रदर्शन कर रही हैं लेकिन कोई इसपर सुनवाई नहीं हो रही है. कुछ दिन पहले ही जेवर के एमएलए धीरेन्द्र सिंह ने यह मामला सीएम योगी आदित्यनाथ के सामने उठाया है.

लोक निर्माण विभाग और नोएडा प्रशासन के प्रस्ताव की फाइल लिफ्ट एक्ट का रूप कब तक लेती है देखने लायक होगा अगर सरकार ऐसा करती है तो लाखों निवासियों को राहत मिलेगी.

महाराष्ट्र में लागू हुआ पहले-

देश में लिफ्ट एक्ट में सबसे पहले लागू महाराष्ट्र (बॉम्बे) में रहा है, जहाँ बहुमंजिली इमारतों की भरमार है. यहां साल 1939 में कानून बनकर लागू हुआ था. फिर इसमें संसोधन भी हो चुका है. इस एक्ट में लिफ्ट और एक्सेलेटर को लेकर सख्त नियम बनाए गए हैं.सबसे पहले महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात, तमिलनाडु, हरियाणा, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, केरल, झारखंड, असम और हिमाचल प्रदेश ने अपने यहाँ लिफ्ट एक्ट लागू करते हुए नियम-कानून बनाए हैं.