Knowledge : वेदों में किन-किन नदियों के बारे में जिक्र किया गया हैं, जानिए
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Knowledge :भारत में कुल चार वेद हैं। लेकिन सबसे पुराना वेद ऋग्वेद हैं। वेदों से ही भारत की प्राचीन संस्कृति के बारे में पता चलता हैं। तो वहीं ऋग्वेद व अर्थवेद में कई सारी नदियों का उल्लेख किया हैं। चलिए आज हम आपको बताते हैं कि ऋग्वेद व अर्थवेद में कितनी नदियों के बारे में उल्लेख किया गया हैं।
ऋग्वेद व अथर्ववेद में बहुत-सी नदियों का उल्लेख किया गया हैं। दोनों में सप्त सिंधव, अर्थात साथ नदियों का बहुत बार उल्लेख किया गया हैं। अर्थवेद में तो कहा गया हैं कि सात नदियाँ हिमालय से निकलती हैं और सिंधु में मिलती हैं। इन्हें सिंधु की पत्नी व सिंधु की रानी भी कहा जाता हैं। इन सात नदियों में पाँच तो पंजाब की हैं- शुतद्री, विपाशा, इरावती, चन्द्रभागा तथा बितस्ता, जिन्हें आज क्रमशः सतलज, व्यास, चिनाब व झेलम कहा जाता हैं। इनके अतिरिक्त दो और हैं- सिंधु व सरस्वती। ये सातों मिलकर सप्तसिंधु कही जाती हैं।
अथर्वेद व ऋग्वेद में 90 व 99 नदियों का उल्लेख किया गया हैं। ऋग्वेद से ज्ञात होता हैं कि सप्त सिंधुओं में मिलने वाली छोटी पहाड़ी नदियाँ भी हैं। अर्थवेद व ऋग्वेद में इनको नाव्या अर्थात नौका से तरण योग्य बताया हैं।
ऋग्वेद व अथर्ववेद में कहीं दो, कहीं तीन व कहीं चार समुद्रों का उल्लेख मिलती हैं। इसके अलावा गंगा, यमुना, सरस्वती, शतुद्रि, परूष्णी, असिक्नी, मरूद्वृषा (चेनाव की एक सहायक नदी), वितस्ता, आर्जिकीया, सुषोमा, तुष्टामा, सुसर्तु, रसा, श्र्वेती , कुभा, गोमती, मैहलू, क्रुमु । इन नदियों के अतिरिक्त सुवास्तु, सरयू, विदारा, आपया, दुषद्वती सदानीरा, अंशुमती इन सब नदियो का उल्लेख ऋग्वेद व अर्थवेद के मंत्रो में किया गया हैं।