Knowledge: फ्रांस द्वारा अमेरिका को 137 साल पहले दिए गए गिफ्ट ने इतिहास बदल दिया

Knowledge: ‘स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी जोकि इस समय अमेरिका की शान हैं, उसको अमेरिका को 137 साल पहले फ्रांस द्वारा गिफ्ट किया गया था;

Update: 2023-10-28 10:01 GMT

Statue of Liberty: काफी समय तक दुनिया की सबसे ऊँची मूर्ति के रूप में  पहचानी जाने वाली स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी की उम्र 137 साल हो गई हैं। विश्व की सबसे ऊँची मूर्ति का खिताब स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के रूप में भले ही दुनिया में अब भारत के पास हैं। लेकिन इस मूर्ति का बेहद शानदार इतिहास रहा हैं। इससे जुड़े हुए तथ्य रोमांचित करते हैं। न्यूयॉर्क के मेनहट्टन इलाके में लिबर्टी आइलैंड पर खड़ी स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी का लोकार्पण 28 अक्टूबर 1886 को अमेरिका के तब के राष्ट्रपति ग्रोवर क्लीवलैंड ने किया था। यह प्रतिमा अमेरिका व फ्रांस की दोस्ती का प्रतीक हैं। 

स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी का पूरा नाम लिबर्टी एनलाइटिंग द वर्ल्ड हैं। यह नाम रोमन देवी लिबर्टस के नाम पर रखा गया हैं। रोमन पौराणिक कथाओं में इस देवी को स्वतंत्रता का प्रतीक माना गया हैं। अमेरिका समेत दुनिया भर के पर्यटकों के लिए आज भी यह आकर्षम का केंद्र बना हुआ हैं। गर्मी, बारिश व तूफान को झेलते हुए यह प्रतिमा आज भी शान से वैसे ही खड़ी हैं। जैसे स्थापित हुई थी। हाँ इसका रंग अवश्य बदल गया हैं। अब यह एक खास हरे रंग की दिखाई देती हैं। अमेरिकी प्रशासन ने इस रंग से कोई छेड़छाड़ नहीं की हैं। बल्कि इसे ऐसे ही रखने का फैसला लिया हैं। 

अमेरिका की आजादी का प्रतीक-

संयुक्त राष्ट्र ने इसे 1984 में विश्व धरोहर घोषित कर दिया। इसे साल 1984 में जनता के लिए बंद कर दिया गया था। जीर्णोद्धार के बाद फिर से इसे साल 1986 में खोला गया। उसी समय इसका शताब्दी समारोह मनाया गया। 9/11 हमले के बाद इसे फिर से सौ दिन के लिए बंद कर दिया गया था। लेकिन फिर साल 2004 तक इसे नहीं खोला गया। यह अमेरिका की आजादी का प्रतीक हैं। प्रतिमा के हाथ में बने नोटबुक में 4 जुलाई 1776 दर्ज किया गया हैं। जो अमेरिका के आजाद होने की गवाही देता हैं। यह दुनिया की अकेली ऐतिहासिक प्रतिमा हैं। जिसे दो देशों अमेरिका व फ्रांस ने मिलकर बनाया हैं। मूर्ति बनाने का काम फ्रांस ने व फाउंडेशन बनाने का काम अमेरिका ने किया था।

फ्रांस के इतिहासकार, कवि व न्यायविद एडौर्ड डी लाबौले ने 1865 में अमेरिका के 100वीं वर्षगांठ पर इस मूर्ति को देने का प्रस्ताव दिया व फ्रेडरिक अगस्त ने इसे डिजाइन किया। वे शानदार मूर्तिकार थे। फ्रांस के लोगों ने इसके लिए रकम जुटाने में योगदान दिया। साल 1875 में इसका निर्माण फ्रांस में शुरू हुआ। इसे बनाने में करीब नौ साल लगे। अब प्रतिमा तैयार हो गई तो इसे अमेरिका ले जाने का संकट आया। इसे फिर से अलग-अलग 350 हिस्सों में बांटा गया। 214 बक्सों में भरकर अमेरिका भेजा गया। इसे भेजने के लिए फ्रांस ने युद्धपोत आइसेर का प्रयोग किया। 17 जून 1885 को यह प्रतिमा फ्रांस से चलकर अमेरिका पहुँची। इसके निर्माण में 2.50 लाख अमेरिकी डॉलर की लागत आई थी।


Tags:    

Similar News