Shaheed Diwas : भारत में 30 जनवरी व 23 मार्च दो दिन क्यो मनाते हैं, शहीद दिवस

Update: 2023-03-23 08:07 GMT

Shaheed Diwas 2023 : भारत की आजादी की कहानी हमेशा के लिए शहीद भगत सिंह, सुखदेव व राजगुरू का नाम अमर हो गया हैं। इनके बिना भारत के आजादी की कहानी शायद लिखी ही नहीं जा सकती हैं। इस दिन इन तीनो ने हँसते-हँसते भारत माँ के लिए अपने प्राणो का बलिदान दे दिया था। उनके द्वारा किए गए इस महान कार्य को हमेशा के लिए यादगार बनाने के लिए भारतवर्ष में आज के दिन शहीद दिवस मनाया जाता हैं। लेकिन क्या आपको पता हैं, भारत में दो दिन मनाया जाता हैं। जानिए ऐसा क्यो होता हैं। 

क्यो मनाते हैं भारत में दो दिन शहीद दिवस-

30 जनवरी को शहीद दिवस के रूप में क्यो मनाया जाता हैं, ये सभी को पता होगा कि इस दिन महात्मा गाँधी की पुण्य तिथि (Death Anniversary of Mahatma Gandhi) के रूप में मनाया जाता हैं। इस दिन ही महात्मा गांधी को गोली मारकर उनकी हत्या कर दी गई थी। यह दिन भारत के लिए दुखद दिन के रूप में याद किया जाता हैं। तो वहीं 23 मार्च को भगत सिंह (Shaheed Bhagat Singh),  सुखदेव (Sukhdev) व राजगुरू (Rajguru) को फांसी दी गई थी। यह दिन भारत के इतिहास में काले दिन के रूप में मनाया जाता हैं। यह दिन शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की जाती हैं। विभिन्न शिक्षण संस्थाओं, सरकारी व गैर सरकारी संगठनों द्वारा इस अवसर पर मौन सभा का आयोजन किया जाता हैं। तो वहीं शहीदो की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना किया जाता हैं। 

देश की आाजादी के लिए कई वर्षों तक संग्राम चला। तो वहीं कई वीर सपूतों ने देश की आजादी के लिए हंसते-हंसते अपने प्राणो को न्यौछावर कर दिया था। भगत सिंह, राजगुरू व सुखदेव भी उन वीर सपूतों में से एक थे। इन तीनो ने कई बार अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करते हुए पब्लिक सेफ्टी व ट्रेड डिस्ट्रीब्यूट बिलज् के विरोध में सेंट्रल असेंबली में बम फेंके थे। इसके बाद इन्हें अंग्रेजी हुकूमत द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया था। और 23 मार्च 1931 को गुपचुप तरीके से फांसी दी गई थी। यहाँ तक कहा जाता हैं कि इन तीनो के परिवारवालो को इनका शव तक नहीं दिया गया था। ब्रिट्रिश हुकूमत जनता के रोष से बचाने के लिए इनके शव को खुद ही जलाने की कोशिश की थी। लेकिन किसी तरीके से इनके परिवार जनो व अन्य स्वतंत्रता सेनानियों को पता चल गया। विरोध करने के बाद इनके परिवार वालो को इनका शव सौंप दिया गया था। जिसके बाद परिवारवालो ने विधिपूर्वक इनका अंतिम संस्कार किया। इनके अंतिम दर्शन के समय भारी भीड़ उमड़ी थी। 

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