Parshuram Jayanti 2023 पर जानिए भगवान परशुराम से जुड़ी रोचक कथाऐं

भगवान परशुराम के जन्म की कहानी-;

Update: 2023-04-22 17:48 GMT

Parshuram Jayanti 2023: 22 अप्रैल 2023 को अक्षय तृतीया का पर्व मनाया जा रहा हैं। इस तिथि पर भगवान विष्णु के सभी दस अवतारों में छठे अवतार माने गए भगवान परशुराम की जयंती मनाई आएगी। हिंदू पंचाग के अनुसार हर साल वैशाख माह के शुल्क पक्ष की तृतीया तिथि पर भगवान परशुराम का जन्मोत्सव बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता हैं। भगवान परशुराम का प्राकट्य काल प्रदोष काल में हुआ था। और ये 8 चिरंजीवी पुरूषों में एक हैं।

भगवान परशुराम के जन्म की कहानी-

भगवान परशुराम ऋषि जमदाग्नि व माता रेणुका के पुत्र हैं। परशुरामाजी कुल परंपरा के अनुसार ब्राह्मण हैं लेकिन इनका स्वभाव क्षत्रिय जैसा हैं। अपने क्रोध से इन्होंने कई बार धरती पर क्षत्रियों का विनाश कर दिया। इनकी दादी सत्यवदी को भृगु ऋषि ने दो फल दिए थे। जिनमें एक इनकी दादी सत्यवती के लिए था और दूसरा फल इनकी दादी की माता के लिए था। लेकिन गलती से फलो की अदला-बदली हो गई। इससे भृगु ऋषि ने सत्यावती से कहा कि तुम्हारा पुत्र क्षत्रिय स्वभाव का होगा। तो सत्यवती ने भृगु ऋषि से कहा कि ऐसा आशीर्वाद दीजिए जिससे कि मेरा पुत्र ब्रह्मण जैसा हो और मेरा पौत्र क्षत्रिय गुणों वाला हो। भृगु ऋषि के आर्शीवाद से ऐसा ही हुआ परशुरामजी ऋषि जमदाग्नि की पांचवी संतान हुए जो बाल्यावस्था से ही क्रोधी स्वभाव के थे।

राम से परशुराम बनने की कहानी-

भगवान परशुराम का जन्म माता रेणुका की कोख से हुआ था जन्म के बाद इनके माता-पिता ने इनका नाम राम रखा था। बालक राम बचपन से ही भगवान शिव के परम भक्त थे। ये हमेशा ही भगवान की तपस्या में लीन रहा करते थे। ये हमेशा ही भगवान की तपस्या में लीन रहा करते थे। तब भगवान शिव ने इनकी तपस्या स प्रसन्न होकर इन्हें कई तरह के शस्त्र दिए थे। जिसमें एक फरसा भी था। फरसा को परशु भी कहते हैं इस कारण से इनका नाम परशुराम पड़ा।

परशुराम जी का जन्म ब्राह्राण कुल में हुआ था लेकिन उनका ये अवतार बहुत ही तीव्र, प्रचंड और क्रोधी स्वाभाव का था। भगवान परशुराम ने अपने माता-पिता के अपमान का बदलाव लेने के लिए इस पृथ्वी को 21 बार क्षत्रियों का संहार करके विहीन किया था। इसके अलावा अपने पिता की आज्ञा का पालन करने के लिए अपनी माता का भी वध कर दिया था। लेकिन वध करने के बाद पिता से वरदान प्राप्त करके फिर से अपनी माता को जीवित किया था।

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