रश्मिका मंधाना का अश्लील वीडियो हुआ वायरल, जानिए क्या हैं डीपफेक व कानून
Rashmika Mandanna Deepfake Video: रश्मिका मंधाना का डीपफेक वीडियो हुआ वायरल, जानिए डीपफेक को लेकर क्या हैं कानून;
Rashmika Mandanna Deepfake Video: अश्लील तस्वीरों व वीडियोज का मार्केट काफी ज्यादा बढ़ गई हैं। पिछले कुछ सालों से ये लगातार फल-फूल रहा हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार ज्यादातर अश्लील वीडियो डीपफेक का प्रयोग कर बनाया जाता हैं। ये वहीं डीपफेक है जिससे एक्ट्रेस व नेशनल क्रश रश्मिका मंदाना का एक वीडियो तैयार किया गया हैं। किसी और महिला के शरीर पर रश्मिका का चेहरा दिया गया हैं। व उसे सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दिया हैं। इस वीडियो के सामने के आने के बाद डीपफेक एक बार फिर चर्चा में हैं। आज हम आपको बताते हैं इससे क्या सजा मिलेगी।
डीपफेक क्या हैं-
बता दे कि डीपफेक एक ऐसी तकनीक हैं। जिसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रयोग कर किसी फोटो या वीडियो के साथ हेरफेर किया जाता हैं। ये दो शब्दों से मिलकर बना हुआ हैं। पहला डीप लर्निंग व दूसरा फेक ये जेनेरेटिव मॉडल के तहत प्रयोग होता हैं। इसमें आपके फेस को किसी और शख्स के शरीर के साथ लगा दिया जाता हैं। इसमें लिप्सिंग व ऑडियो भी इतना सटीक होता हैं। रियल व फेक का पता करना मुश्किल होता हैं।
कब आया चर्चा में-
साल 2017 में पहली बार डीपफेक चर्चा में आया। तब एक सोशल मीडिया यूजर ने अपने रेडिट अकाउंट का नाम डीपफेक रखा दुनियाभर की मशहूर हस्तियों के चेहरे का प्रयोग कर अश्लील वीडियो बनाए। जिसमें व्लादिमीर पुतिन जैसे लोग भी शामिल थे। क्योकि डीपफेक के लिए किसी भी इंसान के वीडियो व फोटोज की आवश्यकता होती हैं। ऐसे में सेलेब्स या बड़ी हस्तियाँ इसका सबसे ज्यादा शिकार होती हैं। जिनके वीडियो व तस्वीरे सोशल मीडिया पर आसानी से मिल जाती हैं।
कई फिल्मों में भी डीपफेक का प्रयोग होता हैं। हॉलीवुड व कुछ बॉलीवुड फिल्मों में डीपफेक टेक्नोलॉजी का प्रयोग हो चुका हैं। हालांकि इस टेक्नोलॉजी का गलत प्रयोग ज्यादा हो रहा हैं। पॉर्न इंडस्ट्री, सेक्सटॉर्शन, फेक न्यूज, साइबर ठगी जैसी चीजों में डीपफेक का चलन तेजी से बढ़ रहा हैं।
डीपफेक को लेकर क्या कानून हैं-
डीपफेक या फिर किसी भी फोटो या वीडियो को मॉर्फ कर सोशल मीडिया पर डालना कानून जुर्म हैं। पहले इसके लिए इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट के सेक्शन 66ए के तहत ऐसा करने वाले शख्स को तीन साल तक की जेल हो सकती हैं। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस सेक्शन को असंवैधानिक बता दिया था। जिसके बाद अब आईटी एक्ट के 66E व 67B के तहत ऐसे मामले दर्ज होते हैं। इसके अलावा फॉर्जरी की धाराओं में भी मुकदमा दर्ज किया जा सकता हैं।