विवेकानंद की जिंदगी पूरी तरह से बदल दी इस मंदिर के पुजारी ने, जिससे मिलने के बाद बन गए संयासी

National Youth Day 2024: विवेकानंद की जयंती पर हर साल 12 जनवरी को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता हैं, चलिए आज विवेकानंद के जीवन के बारे में कुछ रोचक तथ्य जानते है

Update: 2024-01-12 12:33 GMT

National Youth Day 2024: हर साल स्वामी विवेकानंद (Swami Vivekanand) के जयंती के दिन भारत में राष्ट्रीय युवा दिवस मनाया जाता है। साल 1893 में जब अमेरिका के शिकागो में विश्व सर्व धर्म सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसमें भारत के युवा भी शामिल हुए थे। जब बोलने की बात आई तो लोगो ने उस युवा की तरफ ध्यान नहीं दिया लेकिन जैसे  ही उसने बोलना शुरू किया लोगो की  तालियाँ बजनी नहीं रूकी। आर्ट इंस्टीट्यूट ऑफ शिकागो के अपने भाषण की शुरूआत में इस युवा ने कहा- अमेरिका के भाइयो व बहनों और फिर तो हर कोई इस युवा को ध्यानपूर्वक सुनने लगा। ये युवक कोई और नहीं विवेकानंद ही थे। 


विवेकानंद जीवन परिचय-

12 जनवरी 1863 को स्वामी विवेकानंद का जन्म कलकत्ता के एक कायस्थ परिवार में हुआ था। माता-पिता ने उन्हें नरेंद्रनाथ नाम दिया था। नरेन्द्रनाथ के पिता विश्वनाथ दत्त था। जोकि कलकत्ता हाईकोर्ट के वकील थे। माता भुवनेश्वरी देवी धार्मिक विचारों वाली घरेलू महिला थी। नरेन्द्र शुरू से ही पढ़ाई में तेज थे। अध्ययन में काफी रूचि थी। नरेन्द्रनाथ 1871 में 8 साल की उम्र में पहली स्कूल गए थे स्कूली पढ़ाई की पूरी करने के बाद कलकत्ता के जाने-माने प्रेसीडेंसी कॉलेज की प्रवेश परीक्षा में ही झंडे गाड़ दिया व 1879 में उन्होंने इस परीक्षा में पहला स्थान हासिल कर किया।


विवेकानंद का जीवन उस दिन बदल गया जब वो कलकत्ता में दक्षिणेश्वर के काली मंदिर में सन् 1881 में स्वामी रामकृष्ण परमहंस से पहली बार मिले थे। नरेंद्रनाथ ने  स्वामी रामकृष्ण  से पूछा कि क्या आपने ईश्वर को देखा है। स्वामी विवेकानंद के इस प्रश्न से रामकृष्ण परमहंस काफी प्रभावित हुए उन्होंने कहा- हां, मैने भगवान को देखा है। 


उनको उतना ही स्पष्ट देख रहा हूं। जितनी का तुम्हें , दोनो में अतंर सिर्फ इतना हैं कि ईश्वर को मैं तुम्हारे मुकाबले ज्यादा गहराई से महसूस करता हूँ। इसके बाद तो नरेंद्रनाथ दत्त परमहंस से इतना प्रभावित हुए कि केवल 25 वर्ष की उम्र में घर छोड़कर संन्यासी बन गए।

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